Thursday, 28 June 2012
नेहरु ने इस देश को बर्बाद कर दिया .. इस देश के तीन टुकड़े नेहरु ने करवाए
बालिकाओ के प्रिय "नेहरु अंकल" के कारनामे ..
१. नेहरु ने गांधीजी से जिद की थी के '' बापू प्रधानमंती तो है ही बनुगा ''...भले ही इस देश के हज़ार टुकड़े हो जाये ..और इस तरह से सरदार पटेल जैसे काबिल , योग्य और ईमानदार को दरकिनार करके इस मुत्सदी, लम्पट और चरित्रहीन और राजनीतिक रूप से अयोग्य नेहरु को प्रधानमंत्री बना दिया गया |
जो कांग्रेस हमे लोकत्रंत की बात करके हमे मुर्ख बनाती है .. सोचिये जब नेहरु और सरदार पटेल मे प्रधानमंत्री के लिए वोटिंग हुई तब नेहरु को सिर्फ दो वोट मिले थे जिसमे एक उनके खुद के थे . और सरदार पटेल को कुल ३३ वोट मिले थे .फिर ये नेहरु गांधी जी के सामने अड् गया की कुछ भी हो मै ही प्रधानमंत्री बनूंगा .. और फिर नेहरु प्रधानमंत्री बन गया |
२. भारत को आजादी मिलते ही इस नेहरु ने १९५० तक अपने देश की सैन्य कमान इंग्लैंड के हाथो में सौप के राखी थी.
३ इस नेहरु को यह भी नहीं मालुम था की जिस तर्ज पर देश आजाद हुआ है ..उसी तर्ज पर देश के ऊपर देश के ऊपर आक्रमण भी हो सकता है.....और इसी के चलते इसने सैन्य शक्ति नजर अंदाज़ किया और नतीजा १९४७ में कश्मीर में कबैलियो का हमला १९६२ पाकिस्तान और १९६५ में चीन द्वारा हमला... और भारत की बुरी तरह हार ..
४. चीन के साथ लड़ते समय हमरे जवानो के पास रक्षा हेलमेट , बर्फ पर चलने के लिए खास जूते , ठण्ड में पहने के लिए जाकेट, गोला बारूद या कोई भी अत्याधुनिक हथियार नहीं था..........और सबसे दुखद बात यह है की कश्मीर में हमारे जवानो के पास लड़ने के लिए पुराने ज़माने की अंग्रेजो वाली घोडा छाप बंदूके थी......जो हिमालयकी -५ डिग्री तापमान में जम गयी और एन मौके पे उसमे से एक भी गोली नहीं निकल पायी ..और इस मोके का फायदा उठाकर चीन के सैन्य ने एक एक जवान को चुन चुन के मारा और इसमें हमरे जान माल की बहुत उची किमात चुकानी पड़ी......और भारत में कश्मीर का बहुत बड़ा हिस्सा चीन के हाथो में चला गया....
५. और एक मजे के बात है........इस नेहरु को '' शांति '' बहुत प्रिय थी . इसे हमेशा "शांति " चाहिए थी ....और आये दिन वोह विश्व में शांतिदूत बनने के स्वप्न भी देखा करता था...और जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तब ये '' shanti ( दूत ) अफ्रीका के दौरे पर थे और दुसरे की समस्या ये सुलझा रहे थे....अपने घर में आग लगी थी और ये चले थे गांव का मामला निपटने ....
६. इस नेहरु ने समाजवाद का मॉडल अपनाया था और इसका मानना था की सरकार कभी मुनाफा नहीं कमा सकती इस लिए उसने सभी रास्ट्रीय उद्योगों को बाबुशाही के हवाले कर दिया था ..और .नतीजा हम आज भी भुगत रहे है......जो सरकारी कंपनी बाबु लोगो के चलते घटा करती है ..वाही कम्पनी या निजी बनाने के बाद जबरदस्त मुनाफा कमाती है.....नतीजा आपको माल्लुम है.....तात्पर्य यह है की उसकी मूर्खो भरी नीतियों के कारन एक नया अध्याय पैदा हुआ लैसंस राज का...जिसमे निजी कंपनी ओ को उसने कसके लगाम लगा लगी थी और उसने देश क वाही १० वि सदी में धकेल दिया था...सीमेंट , लोहा और अन्य उप्यौगी वास्तु ओ में भी इस नेहरु ने ''कोटा सिस्टम '' दाल के रखा था जिसका नतीजा था काला बाजारी और भ्रष्टाचार........ आप अपने बुजर्गो से कभी पूछियेगा इस कांग्रेस ने इस देश मे सीमेंट खरीदने के लिए भी सरकारी परमिट अनिवार्य कर दिया था |
आज की इसी कांग्रेस की सरकार नेहरु के आर्थिक नीतियो की सबसे बड़ी दुश्मन है ..
7.और एक गलती सुनिए.....अंग्रेज बड़े होसियार थे....और दूरदर्शी भी...उन्होंने अपने कर्नल मेक्मेहून को चीन भेजा चीन से युद्ध करने के लिए.....और चीन का एक बड़ा प्रदेश जो के तिबेट के नाम से जाना जाता है...वोह जित लिया....और बदले में चीन से लिखवा लिया की तिबेट भारत की अंग्रेज सरकार के नियन्त्रण में रहेगा.......
ताकि तिबेट भारत और चीन के बिच में बफर स्टेट का काम करेगा और चीन कभी भी भारत के ऊपर आक्रमण करने की कोशिश नहीं करेगा.........और वोह लाइन आज भी मेक्मेहून लाइन के नाम से जानी जाती है....
पर इस नेहरु ने वोह भी हिंदी -चीनी भाई भाई के नाते चीन के हवाले कर दिया............और नतीजा हम आज भी भुगत रहे है और कल भी भुगतेंगे,,,,,,,
८- इस नेहरु के समय मे चीन का राष्ट्रपति चाऊ एन लाइ भारत के दौरे पर आया था ..इसने उसकी खूब खातिरदारी की .. उसके सामने इसने भारतीय लड़कियों से कई नाच करवाए ..
फिर ये नेहरु उसे कानपूर मे भारत की उस समय की सबसे बड़ी आर्डिनेंस फैक्ट्री जिसे अंग्रेजो ने बनाया था वहाँ ले गया और चाऊ एन लाइ ये देखकर चौक गया की हथियारों की फैक्ट्री मे जुट के बोरे और जूते बन रहे है .. जब चाऊ एन लाइ ने इस बाबत नेहरु से पूछा तो उसने कहा कि मै शांति का पुजारी हूँ ..मुझे हथियारों और गोला बारूद से सख्त नफरत है और भारत के उपर न कोई देश आक्रमण करेगा और न ही भारत किसी देश के उपर आक्रमण करेगा तो फिर हमे गोला बारूद की क्या जरूरत है ..
मित्रों , फिर चाऊ एन लाइ अपना आगे का दौरा रद्द करके तुरंत चीन वापस चला गया ..उसे मालूम हो चूका था की नेहरु ने भारत की सेना को अंदर से एकदम खोखला और कमजोर कर दिया है ..
सोचिये मित्रों ,, इन सब सच्चाइयो के बाद भी आज कांग्रेस हमारे बच्चो की किताबो मे इस नेहरु के बारे मे पढाती है ...
बालिकाओ के प्रिय "नेहरु अंकल" के कारनामे ..
१. नेहरु ने गांधीजी से जिद की थी के '' बापू प्रधानमंती तो है ही बनुगा ''...भले ही इस देश के हज़ार टुकड़े हो जाये ..और इस तरह से सरदार पटेल जैसे काबिल , योग्य और ईमानदार को दरकिनार करके इस मुत्सदी, लम्पट और चरित्रहीन और राजनीतिक रूप से अयोग्य नेहरु को प्रधानमंत्री बना दिया गया |
जो कांग्रेस हमे लोकत्रंत की बात करके हमे मुर्ख बनाती है .. सोचिये जब नेहरु और सरदार पटेल मे प्रधानमंत्री के लिए वोटिंग हुई तब नेहरु को सिर्फ दो वोट मिले थे जिसमे एक उनके खुद के थे . और सरदार पटेल को कुल ३३ वोट मिले थे .फिर ये नेहरु गांधी जी के सामने अड् गया की कुछ भी हो मै ही प्रधानमंत्री बनूंगा .. और फिर नेहरु प्रधानमंत्री बन गया |
२. भारत को आजादी मिलते ही इस नेहरु ने १९५० तक अपने देश की सैन्य कमान इंग्लैंड के हाथो में सौप के राखी थी.
३ इस नेहरु को यह भी नहीं मालुम था की जिस तर्ज पर देश आजाद हुआ है ..उसी तर्ज पर देश के ऊपर देश के ऊपर आक्रमण भी हो सकता है.....और इसी के चलते इसने सैन्य शक्ति नजर अंदाज़ किया और नतीजा १९४७ में कश्मीर में कबैलियो का हमला १९६२ पाकिस्तान और १९६५ में चीन द्वारा हमला... और भारत की बुरी तरह हार ..
४. चीन के साथ लड़ते समय हमरे जवानो के पास रक्षा हेलमेट , बर्फ पर चलने के लिए खास जूते , ठण्ड में पहने के लिए जाकेट, गोला बारूद या कोई भी अत्याधुनिक हथियार नहीं था..........और सबसे दुखद बात यह है की कश्मीर में हमारे जवानो के पास लड़ने के लिए पुराने ज़माने की अंग्रेजो वाली घोडा छाप बंदूके थी......जो हिमालयकी -५ डिग्री तापमान में जम गयी और एन मौके पे उसमे से एक भी गोली नहीं निकल पायी ..और इस मोके का फायदा उठाकर चीन के सैन्य ने एक एक जवान को चुन चुन के मारा और इसमें हमरे जान माल की बहुत उची किमात चुकानी पड़ी......और भारत में कश्मीर का बहुत बड़ा हिस्सा चीन के हाथो में चला गया....
५. और एक मजे के बात है........इस नेहरु को '' शांति '' बहुत प्रिय थी . इसे हमेशा "शांति " चाहिए थी ....और आये दिन वोह विश्व में शांतिदूत बनने के स्वप्न भी देखा करता था...और जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तब ये '' shanti ( दूत ) अफ्रीका के दौरे पर थे और दुसरे की समस्या ये सुलझा रहे थे....अपने घर में आग लगी थी और ये चले थे गांव का मामला निपटने ....
६. इस नेहरु ने समाजवाद का मॉडल अपनाया था और इसका मानना था की सरकार कभी मुनाफा नहीं कमा सकती इस लिए उसने सभी रास्ट्रीय उद्योगों को बाबुशाही के हवाले कर दिया था ..और .नतीजा हम आज भी भुगत रहे है......जो सरकारी कंपनी बाबु लोगो के चलते घटा करती है ..वाही कम्पनी या निजी बनाने के बाद जबरदस्त मुनाफा कमाती है.....नतीजा आपको माल्लुम है.....तात्पर्य यह है की उसकी मूर्खो भरी नीतियों के कारन एक नया अध्याय पैदा हुआ लैसंस राज का...जिसमे निजी कंपनी ओ को उसने कसके लगाम लगा लगी थी और उसने देश क वाही १० वि सदी में धकेल दिया था...सीमेंट , लोहा और अन्य उप्यौगी वास्तु ओ में भी इस नेहरु ने ''कोटा सिस्टम '' दाल के रखा था जिसका नतीजा था काला बाजारी और भ्रष्टाचार........ आप अपने बुजर्गो से कभी पूछियेगा इस कांग्रेस ने इस देश मे सीमेंट खरीदने के लिए भी सरकारी परमिट अनिवार्य कर दिया था |
आज की इसी कांग्रेस की सरकार नेहरु के आर्थिक नीतियो की सबसे बड़ी दुश्मन है ..
7.और एक गलती सुनिए.....अंग्रेज बड़े होसियार थे....और दूरदर्शी भी...उन्होंने अपने कर्नल मेक्मेहून को चीन भेजा चीन से युद्ध करने के लिए.....और चीन का एक बड़ा प्रदेश जो के तिबेट के नाम से जाना जाता है...वोह जित लिया....और बदले में चीन से लिखवा लिया की तिबेट भारत की अंग्रेज सरकार के नियन्त्रण में रहेगा.......
ताकि तिबेट भारत और चीन के बिच में बफर स्टेट का काम करेगा और चीन कभी भी भारत के ऊपर आक्रमण करने की कोशिश नहीं करेगा.........और वोह लाइन आज भी मेक्मेहून लाइन के नाम से जानी जाती है....
पर इस नेहरु ने वोह भी हिंदी -चीनी भाई भाई के नाते चीन के हवाले कर दिया............और नतीजा हम आज भी भुगत रहे है और कल भी भुगतेंगे,,,,,,,
८- इस नेहरु के समय मे चीन का राष्ट्रपति चाऊ एन लाइ भारत के दौरे पर आया था ..इसने उसकी खूब खातिरदारी की .. उसके सामने इसने भारतीय लड़कियों से कई नाच करवाए ..
फिर ये नेहरु उसे कानपूर मे भारत की उस समय की सबसे बड़ी आर्डिनेंस फैक्ट्री जिसे अंग्रेजो ने बनाया था वहाँ ले गया और चाऊ एन लाइ ये देखकर चौक गया की हथियारों की फैक्ट्री मे जुट के बोरे और जूते बन रहे है .. जब चाऊ एन लाइ ने इस बाबत नेहरु से पूछा तो उसने कहा कि मै शांति का पुजारी हूँ ..मुझे हथियारों और गोला बारूद से सख्त नफरत है और भारत के उपर न कोई देश आक्रमण करेगा और न ही भारत किसी देश के उपर आक्रमण करेगा तो फिर हमे गोला बारूद की क्या जरूरत है ..
मित्रों , फिर चाऊ एन लाइ अपना आगे का दौरा रद्द करके तुरंत चीन वापस चला गया ..उसे मालूम हो चूका था की नेहरु ने भारत की सेना को अंदर से एकदम खोखला और कमजोर कर दिया है ..
सोचिये मित्रों ,, इन सब सच्चाइयो के बाद भी आज कांग्रेस हमारे बच्चो की किताबो मे इस नेहरु के बारे मे पढाती है ...
Tuesday, 28 February 2012
"हीन भावना"से ग्रस्त किया हे
मेकाले की शिक्षा ने हमे केसे "हीन भावना"से ग्रस्त किया हे ...कहानी पढ़िये
================================== ===
स्वामी विवेकानद जी एक कहानी अपने प्रवचनों में सुनाया करते थे !
एक गडरिये को जंगल में शेर का नवजात बच्चा मिला, जिसकी आंख भी नहीं खुली थी ! मां संभवतः किसी शिकारी के हाथों मारी गई थी ! गडरिया दया करके उस बच्चे को अपने साथ ले आया तथा बकरियों का दूध पिलाकर उसे पालने लगा ! बच्चा बड़ा हुआ ! बह स्वयं को बकरी ही समझने लगा ! उनके साथ धक्के खाता हुआ झुण्ड में चलता ! बाड़े के बाहर कुत्तों से डरता तथा गडरिये को अपना मालिक समझता तथा उसकी लाठी से भयभीत होता ! एक दिन जंगल के शेर ने उसकी यह हालत देखी तो उसे बहुत अचम्भा हुआ ! उसने उसे पकड़ने का प्रयत्न किया किन्तु स्वयं को बकरी समझने बाला यह शेर बचने को भागा ! जैसे तैसे जंगल के शेर ने उसे पकड़ा और कहा कि तू कैसा शेर है जो बकरी बना हुआ है ! उसने जबाब दिया कि हे जंगल के राजा आपसे किसी ने झूठ शिकायत कर दी है, मैं कोई शेर बेर नहीं हूँ ! मैं तो गरीब बकरी ही हूँ ! तब शेर कान पकड़कर उसे एक कुए के पास ले गया वा उसके निर्मल जल में परछाईं दिखाई ! कि देख यह मैं हूँ और यह तू है ! हम दोनों एक जैसे हैं अथवा नहीं ? यदि मैं शेर हूँ तो तू भी तो शेर है ! ज़रा गर्जना तो कर के देख ! अभी तुझे समझ आ जाएगा ! और जैसे ही आत्म विस्मृत शेर ने दहाड़ लगाई, उसे तो उसे सारी कायनात को मालूम हो गया कि जंगल में एक नया शेर आ गया है ! जो बकरियां अब तक उसे धकिया देती थी, वे उसके सामने से गायब हो गईं और जिन कुत्तों के भोंकने से बह थर थर कांपने लगता था वे कुत्ते उसके सामने से दुम दबाकर भाग छूटे !
=============
आज आत्म विस्मृत हिन्दू समाज की भी यही स्थिति है !
==================================
स्वामी विवेकानद जी एक कहानी अपने प्रवचनों में सुनाया करते थे !
एक गडरिये को जंगल में शेर का नवजात बच्चा मिला, जिसकी आंख भी नहीं खुली थी ! मां संभवतः किसी शिकारी के हाथों मारी गई थी ! गडरिया दया करके उस बच्चे को अपने साथ ले आया तथा बकरियों का दूध पिलाकर उसे पालने लगा ! बच्चा बड़ा हुआ ! बह स्वयं को बकरी ही समझने लगा ! उनके साथ धक्के खाता हुआ झुण्ड में चलता ! बाड़े के बाहर कुत्तों से डरता तथा गडरिये को अपना मालिक समझता तथा उसकी लाठी से भयभीत होता ! एक दिन जंगल के शेर ने उसकी यह हालत देखी तो उसे बहुत अचम्भा हुआ ! उसने उसे पकड़ने का प्रयत्न किया किन्तु स्वयं को बकरी समझने बाला यह शेर बचने को भागा ! जैसे तैसे जंगल के शेर ने उसे पकड़ा और कहा कि तू कैसा शेर है जो बकरी बना हुआ है ! उसने जबाब दिया कि हे जंगल के राजा आपसे किसी ने झूठ शिकायत कर दी है, मैं कोई शेर बेर नहीं हूँ ! मैं तो गरीब बकरी ही हूँ ! तब शेर कान पकड़कर उसे एक कुए के पास ले गया वा उसके निर्मल जल में परछाईं दिखाई ! कि देख यह मैं हूँ और यह तू है ! हम दोनों एक जैसे हैं अथवा नहीं ? यदि मैं शेर हूँ तो तू भी तो शेर है ! ज़रा गर्जना तो कर के देख ! अभी तुझे समझ आ जाएगा ! और जैसे ही आत्म विस्मृत शेर ने दहाड़ लगाई, उसे तो उसे सारी कायनात को मालूम हो गया कि जंगल में एक नया शेर आ गया है ! जो बकरियां अब तक उसे धकिया देती थी, वे उसके सामने से गायब हो गईं और जिन कुत्तों के भोंकने से बह थर थर कांपने लगता था वे कुत्ते उसके सामने से दुम दबाकर भाग छूटे !
=============
आज आत्म विस्मृत हिन्दू समाज की भी यही स्थिति है !
Monday, 27 February 2012
एक कवी क्या कहा है देश के नेताओ के लिया !!!!!
एक कवी क्या कहा है देश के नेताओ के लिया !!!!!
भाइयो थोड़ा तेज पढ़े ( एक गीत की तरह )..........
मन तो मेरा भी करता है
झुमु नाचू गाऊ में .....
..मन तो मेरा भी करता है
झुमु नाचू गाऊ में .....
आज़ादी की सवर्ण जेंती वाले
गीत सुनाऊ में ...
लेकिन सरगम वाला
वातावरण कहा से लाऊ में ..
मेहग मालारा वाला अन्ता कर्ण
कहा से लाऊ में ..
में दमन में दर्द तुम्हारे
आप ने लेकर बैठा हू ..
में दमन में दर्द तुम्हारे
आप ने लेकर बैठा हू .....
आज़ादी के टूटे फ्हूटे सपने लेकर
बैठा हू ..
घाव जिनोहोने भारत माता को
गहेरे दे रखे है .....
उन लोगो को जेड सुरक्षा के
पहरे दे रखे है ........
प्रजातंत्र सिर्फ नाम का रह गया है हमारे देश में
प्रजातंत्र सिर्फ नाम का रह गया है हमारे देश में , और इसके चारो स्तम्भ को अलग अलग देखें तो रोना आता है |
राजनेताओं की तो बात ही जुदा है , वो तो संसद में सांसद के रूप में 160 से अधिक की संख्या में गुंडे मवाली और बलात्कारियों व् हत्यारे के रूप में बैठे हैं | भ्रस्टाचार तो ऐसा की 1200 करोड में 2G का लाइसेंस गलत तरह से खरीद कर 6000 करोड में बेच कर एक ही झटके में कई हज़ार करोड़ कम लेते हैं और कुछ पूछो तो जवाब दिलचस्प है की चुनाव जीतने की लिए उन्होंने करोड़ो खर्च किया है |
दूसरा स्तम्भ तो नौकरशाहों का है जो नाम के विपरीत मालिक हैं इस देश के और नेताओं को नौकर बना के रखा है | 300 करोड से कम अगर छापे में इनके यहाँ से पकड़ा जाये तो इनकी बेईज्यती
मानी जाती है |
तीसरा स्तम्भ है न्यायपालिका और पुलिस का | पुलिस तो खामखाह बदनाम है आजकल, क्यूँ की अगर एक कप्तान अगर किसी जिले में जाना चाहता है तो उसे पोस्टिंग के लिए ही कई करोड़ ढीलना
पड़ता है , अब वो क्या करें , कोई भी व्यवसाय का नियम ही है की पैसा इन्वेस्ट करोगे तभी तो वापस कमाओगे .......... बेचारे पुलिस का सिपाही तो नौकरी पाने में ही लाखो इन्वेस्ट कर देता है |
न्यायपालिका के लिए तो जुदिसिअरी अकाउंटएबिलिटी बिल की मांग क्या ऐसे ही उठ रही है |
चौथा स्तम्भ तो मीडिया है और ये कुछ छुपाती भी नहीं की उसमें भ्रस्टाचार नहीं है , मीडिया तो एक जिम्मेदार स्तम्भ के रूप में तुरत फुरत ये जाहिर कर देती है ............. सुबह सरकार के विरोध में बोलना शुरू करती है और शाम तक उसके समर्थन में आ जाती है | पूरा अन्ना आन्दोलन को मीडिया ने इतने ऊंचाई पर पहुँचाया और उसकी
ऐसी की तैसी करने मैं उसने उतनी ही देर लगाई जितने देर में उसने सरकार से डील करने में लगाई ...................
अब तो आप सभी स्तम्भ की जिम्मेदारी और उसकी वास्तविक स्थिति जान गए .... आप तो जान ही रहे थे | फिर तो आप हमारे लोकतंत्र को भी जान ही गए .......... जान ही रहे थे |
इतनी बातें जान लेने के बाद भी आप कहें की ये नेता भ्रस्ट हैं या अन्य स्तम्भ की कोई कमजोरी है तो आप अन्याय करेंगे , अरे मेरे भाई आप समझते नहीं ये सारी गलती तो हमारी है , हम आम जनता जो है |
व्यवसाय का पहला नियम आप भूल गए क्या ............................. अरे जो पैसा लगाएगा वो ही तो कमाएगा ???
समझे की नहीं ..........
Sunday, 26 February 2012
बाँध दूँ चाँद, आँचल के इक छोर में
बाँध दूँ चाँद, आँचल के इक छोर में
माँग भर दूँ तुम्हारी सितारों से मैं
क्या समर्पित करूँ जन्मदिन पर तुम्हें
पूछता फिर रहा हूँ बहारों से मैं
गूँथ दूँ वेणी में पुष्प मधुमास के
और उनको ह्रदय की अमर गंध दूं,
स्याह भादों भरी, रात जैसी सजल
आँख को मैं अमावस का अनुबंध दूं
पतली भू-रेख की फिर करूँ अर्चना
प्रीति के मद भरे कुछ इशारों से मैं
बाँध दूं चाँद, आँचल के इक छोर में
मांग भर दूं तुम्हारी सितारों से मैं
पंखुरी-से अधर-द्वय तनिक चूमकर
रंग दे दूं उन्हें सांध्य आकाश का
फिर सजा दूं अधर के निकट एक तिल
माह ज्यों बर्ष के माश्या मधुमास का
चुम्बनों की प्रवाहित करूँ फिर नदी
करके विद्रोह मन के किनारों से मैं
बाँध दूं चाँद, आँचल के इक छोर में
मांग भर दूं तुम्हारी सितारों से मैं
माँग भर दूँ तुम्हारी सितारों से मैं
क्या समर्पित करूँ जन्मदिन पर तुम्हें
पूछता फिर रहा हूँ बहारों से मैं
गूँथ दूँ वेणी में पुष्प मधुमास के
और उनको ह्रदय की अमर गंध दूं,
स्याह भादों भरी, रात जैसी सजल
आँख को मैं अमावस का अनुबंध दूं
पतली भू-रेख की फिर करूँ अर्चना
प्रीति के मद भरे कुछ इशारों से मैं
बाँध दूं चाँद, आँचल के इक छोर में
मांग भर दूं तुम्हारी सितारों से मैं
पंखुरी-से अधर-द्वय तनिक चूमकर
रंग दे दूं उन्हें सांध्य आकाश का
फिर सजा दूं अधर के निकट एक तिल
माह ज्यों बर्ष के माश्या मधुमास का
चुम्बनों की प्रवाहित करूँ फिर नदी
करके विद्रोह मन के किनारों से मैं
बाँध दूं चाँद, आँचल के इक छोर में
मांग भर दूं तुम्हारी सितारों से मैं
मैं तो झोंका हूँ हवा का उड़ा ले जाऊँगा
मैं तो झोंका हूँ हवा का उड़ा ले जाऊँगा
जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा
कौन सी शै मुझको पहुँचाएगी तेरे शहर तक
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊँगा
शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त दुश्मन हो गये
सब यह रह जायेंगी मैं साथ क्या ले जाऊँगा
जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा
हो के कदमों पे निछावर फूल ने बुत से कहा
ख़ाक में मिल के भी मैं खुश्बू बचा ले जाऊँगा
कौन सी शै मुझको पहुँचाएगी तेरे शहर तक
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊँगा
कोशिशें मुझको मिटाने की भले हों कामयाब
मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मजा ले जाऊँगा
शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त दुश्मन हो गये
सब यह रह जायेंगी मैं साथ क्या ले जाऊँगा
अरविन्द के इस बयां से मीडिया और राजनेता दोनों असहमत हैं ,| हों भी क्यूँ नहीं , राजनेताओं को तो मौका मिल गया लोकतंत्र को बचाने का और मीडिया तो इन राजनेताओं के जेब में ही है | हाँ , अगर ये बात किसी को सही लगी है तो वो है देश की आम जनता को ................
अरविन्द ने इस बात को जिन सन्दर्भों में कही है उसके मूल तत्त्व से देश की जनता सहमत होगी, पर इन राजनेताओं को उन सन्दर्भों से तो कुछ लेना देना है नहीं |
उन्हें तो वो हर मौका चाहिए जो देश की जन मानस की जायज मांग है , जो उनके लिए गले की हड्डी बनी है उसे झूठा और गलत साबित करें | इसके लिए वो लोकतांत्रिक
व्यवस्था पर हमला , या लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश इत्यादि का तोहमत लगा कर शोर मचाने में कोई कमी नहीं करनेवाले |
जब देश की संसद में चुनकर ऐसे लोग जायेंगे तो क्या हम ये बोल भी नहीं सकते की वहां हत्यारे और बलात्कारी लोग बैठे हैं | अगर आपको ये सुनने में
बुरा लगता है तो क्यों नहीं आप चुनाव सुधार के कानून बनाते तो ताकि संसद की मर्यादा कायम रहे | जनता के सामने चुनने के जो विकल्प होंगे वो तो
उनमे से ही लोगों को चुनेगी | ऐसे लोग चुनाव के लिए अपात्र घोषित हो जाएँ इसकी व्यवस्था भी तो आपको ही (सरकार) करनी है |
पर नहीं आप को तो वहां negativity चाहिए अगर वहां positive लोग पहुँचने लगे तो आप लोगों की मनमानी तो चलेगी नहीं | हर पार्टी को ऐसे लोग चाहिए जो अपने
विवेक से नहीं बल्कि पार्टी के व्हिप से चलें , अपने नेता की चाटुकारिता करें , उन्हें देश के लिए सेवक तो कतई नहीं चाहिए .....................
मैं तो सिर्फ ये जानना चाहता हूँ की सच कैसे झूट हो सकता है .............. अगर संसद में 100 से ज्यादा सांसद पर हत्या या बलात्कार या किसी और जुर्म का
इलज़ाम है तो इस बात को कहना गलत कैसे हो सकता है..........
हाँ , अगर ये बात गलत हो तो बेसक अरविन्द सजा के पात्र हैं , अगर ये सच है तो बेहद शर्मशार हैं हम सब ...............
राष्ट्रीय उपाधियां
राष्ट्रीय उपाधियां
लोगों ने कुछ मजेदार राष्ट्रीय उपाधियां और उसके लिए सबसे फिट नाम चुने हैं। इसे पढ़िए और यदि आपको लगता है कि इसमें कुछ और भी जोड़ा जा सकता है
राष्ट्रीय बहन : मायावती
राष्ट्रीय भाई : दाऊद इब्राहिम
राष्ट्रीय दामाद : रॉबर्ट वाड्रा
राष्ट्रीय रोबॉट : मनमोहन सिंह
राष्ट्रीय समस्याएं : मनीष तिवारी , दिग्विजय सिंह
राष्ट्रीय चिंता : सलमान कटरीना की शादी
राष्ट्रीय बॉडीगार्ड : जितिन प्रसाद , प्रमोद तिवारी , आरपीएन सिंह
राष्ट्रीय रहस्य : सोनिया गांधी
राष्ट्रीय गिरगिट : अजित सिंह
राष्ट्रीय रथयात्री : लालकृष्ण आडवाणी
राष्ट्रीय चुगलखोर : स्वामी अग्निवेश
राष्ट्रीय असंतुष्ट : मेधा पाटकर
राष्ट्रीय स्ट्रगलर : अभिषेक बच्चन
राष्ट्रीय भुलक्कड़ : एस.एम. कृष्णा
राष्ट्रीय अतिथि ( अस्थाई ): हिना रब्बानी
राष्ट्रीय अतिथि ( स्थाई ): अजमल कसाब
राष्ट्रीय कोयल : मीरा कुमार
राष्ट्रीय गहनों की दुकान : बप्पी लाहिड़ी
राष्ट्रीय गर्लफ्रेंड : दीपिका पादुकोण
राष्ट्रीय रईसज़ादा : सिद्धार्थ माल्या
राष्ट्रीय टेलीफोन ऑपरेटर : दिग्विजय सिंह
राष्ट्रीय गणितज्ञ : कपिल सिब्बल
राष्ट्रीय किसान : अमिताभ बच्चन
राष्ट्रीय मसखरा : लालू यादव
राष्ट्रीय इंतज़ार : सचिन का सौवां शतक
राष्ट्रीय गाल : शरद पवार
राष्ट्रीय थप्पड़ : हरविंदर सिंह
राष्ट्रीय ढीला पेंच : अरुंधती राय
राष्ट्रीय दहशत : रावन का सीक्वल
राष्ट्रीय गाली : आम आदमी
राष्ट्रीय दवा : संधि सुधा
राष्ट्रीय आंख : अन्ना हजारे
राष्ट्रीय तिरछी आंख : बाबा रामदेव
राष्ट्रीय गुमशुदा : भंवरी देवी
राष्ट्रीय जासूस : सुब्रमण्यम स्वामी
राष्ट्रीय आहत : अटल बिहारी वाजपेयी
राष्ट्रीय बुड़बक : राखी सावंत
राष्ट्रीय लाजवंती : सन्नी लियोन
राष्ट्रीय दिवालिया : विजय माल्या
राष्ट्रीय चाइल्ड: बेबी बी
राष्ट्रीय वाक्य: ' इसमें आरएसएस का हाथ है '
राष्ट्रीय केस: आरुषि मर्डर केस
राष्ट्रीय बैचलर : राहुल गांधी
Tuesday, 21 February 2012
रूठ गया है मुझको मानाने वाला
रूठ गया है मुझको मानाने वाला
अब कोई नहीं नाज़ मेरा उठाने वाला
पैर जाने क्या सोंचता है
यह खुला दरवाज़ा
शायद रास्ता भूल गया , अआने वाला
मन तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं ,
कैसे कहें की तेरे तलबगार हम नहीं ,
खुद को जला के खाक कर डाला , मिटा दिया ,
लो अब तुम्हारी राह में दीवार हम नहीं ,
जिस को संवारा हमने तमन्नाओं के खून से ,
गुलशन में उस बहार के हक़दार हम नहीं ,
धोखा दिया है खुद को मुहोब्बत के नाम से ,
कैसे कहें की तेरे गुनाहगार हम नहीं ..
Friday, 16 December 2011
youth power of india

युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये ! निरख रही कातर नयनों से, खड़ी भुजा फैलाये ! युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये !. . मरा नहीं है दुर्योधन, संग्राम अभी है बाकी, खींच रहा है चीर दुशासन, भोली मानवता की. रूप बदलकर सारे कौरव, फिर धरती पर आये ! युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये ! . नौजवान ! तंद्रा त्यागो, “मत” का गांडीव उठाओ, लोकपाल को “चक्र सुदर्शन” सा मज़बूत बनाओ. अनाचार की ज्वाला, जनता की छाती दहलाए ! युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये ! . क्रोध मांग लो दुर्वासा से, ऐसी लपट उठाओ, भस्म सभी अत्याचारी हों, ऐसा अस्त्र बनाओ. बच के रहना खड़ी राह में, “माया” जाल बिछाये, युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये ! . कई उर्वशी और मेनका, आयेंगी राहों में, मोहक रूप दिखाकर अपना भर लेंगी बाहों में. ठोकर मार बढ़ो आगे, ये राहें रोक न पाये, युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये ! . मोहपाश तोड़ो प्रचंड हुँकार करो, दहलाओ, सक्षम, कर्मठ नेता को सिंहासन पर बैठाओ. जनता देख रही है दिल में अपनी आस जगाये, युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये
parliament attack

Of bravery and shame I would be committing a grave folly if i said that empathize with the loved ones of martyrs. Every Lion Heart who lay down his life for the prestige of what we take pride in calling our nation, stands wronged. Their loved ones stand wronged. Today as our sensation mongering electronic media aired images of the terrorist attack on the Indian Parliament in 2001, i could not help but notice the veil of hypocrisy on the face of every elected representative (i dare not call them leaders!). I am not very sure of the statistical accuracy, but i believe brave men selflessly fought, eight of them to their very last breath, to protect those very individuals and more importantly the epitome of our democratic history. Some perpetrators were hunted down and punishment was meted out. But there was one man who was allegedly the "mastermind". His mastery in trying to terrorize an Indian has since then been debated on several platforms. Without venturing into the intricacies of penal law, considering my significant ignorance in that arena, i would like to reiterate the fact that the man has been found guilty and convicted by courts of law on the basis of the findings of executive investing agencies, and yet he escapes the gallows! Pardon the morbidity. Capital punishment might reflect a set of medieval values but what is more disturbing is the support the man has garnered from corners of what i believe is a truly ungrateful society. Social workers of repute, human rights activists (defending terrorists does something to their "stock value",does it?),NGOs and even some sections of the media have been putting their weight behind the man who dared to think that a motley bunch of cowards could walk into our national capital terrorize and assassinate our politicians, blot the very thread of India's democratic fabric. It has been ten long years. We remember the martyrs once a year, we gave their next-to-kin medals, cash, maybe a job. But respect? Honour? No, we did not. The medals were returned. To cut the long story short, it has been too long. We must realize that the politics of appeasement must not come at the cost of disrespecting our heroes, that every person who is willing to lay down his life for duty merits respect for his "human rights" even in death. I just hope that i will not be reminded of these thoughts on the 26th of November, 2018. It is time we started hanging these men. Article by--SHASHANK SINGH
MUST READ THIS AND SHARE THIS UN-TOLD TRUTH <<<<<<< NEHRU WAS
>>>>>.MUST READ THIS AND SHARE THIS UN-TOLD TRUTH <<<<<<< NEHRU WAS AGAINST Sardar Patel We would go an extra mile to celebrate Children's Day Tomorrow.. Amidst One Billion of us,99% may not even know who Swami Vivekananda or Balagangadara Tilak or Maulaana Abul Kalam Azad or Acharya Kripalani are..Leave alone their Birth Days. 100% of the One Billion may not know,that one,Jayaprakash Narain,was a revolutionary to get independence and when he tried to escape from the prison,where he was arrested & kept,he was caught by the BRitish Soldiers in 1942 and they made him sit on Ice Block for 48 hrs..He became Impotent! Now I would only like to give here what Sardar Patel has talked about Chacha Nehru..Read for your self:- Sardar Patel was the HOme Minister and Nehru was the PRime Minister of India since Independence.. Nehru always tried to passify London and Moscow whereas,Patel,believed in Selfrespect without seeking others help..He spent more time in our villages,whereas Nehru spent more time in those fabulous cities.So there was a growing gap in the very Ideology between the two. It was the exemplary skills of Sardar patel which forced all the 550 small princes and zamindars to surrender to Independent India,tho' Nizam of Hyderabad,Kashmir,Junnahath,Tr ivancore,Bhopal,Jodhpur,and such small kingdoms refused to budge in . Junaahath Nawab openly challenged Patel saying they wd join Pakistan.Mount baton also encouraged Junnahath Nawab to openly revolt against India.Patel was able to tackle all these problems including Kashmir,which alone gave max troubles to Patel as they were constantly instigated by Jinnah from Pakistan. Kashmir Problem,Mountbaton said,can be referred to U.N. Nehru always sided whatever Mountbaton said and Patel was dead against this move of taking Kashmir to UN. Patel met Raja of Kashmir and even obtained his signature that the matter may not be referred to UN but JInnah silently sent in some troops across to Kashmir and started creating troubles.Patel sent our troops and there was clear victory for our troops as the infiltrators were successfully repulsed.. Alas!Despite this Nehru referred this Kashmir issue to UN which was totally opposed by Sardar Patel..He said "it is purely an internal matter and why should we refer this to UN" Patel said"If only Nehru had listened to my advice,not a single Pakistani wd have been allowed to stay inside Kashmir even for a single day." Patel went on repeating this to every one and infact took it to Mahatma also.Patel raised this issue in the Congress Working committee and Nehru & Patel were at loggerheads on this issue often.. Nehru started showing his hatred towards Patel as Nehru always wanted only Yes men around him. There were Nehru Group & Patel Group in the party. Sardar Patel wanted to atleast renovate the famous Somanath temple and Rajendra Prasad,President,attended the same.Nehru was absent. In the Nashik Conference, Patel fell sick but he warned 'that since China has occupied Tibet,India must be very very careful with China..They are not a trustworthy Neighbour.." Nehru ddin't like this also as he wanted to establish a relationship with the Chinese under any circumstances. Patel who returned to Bombay refused medical attention and died on 15th Dec 1950. Nehru wanted to bring the body to Delhi and give a fitting memorial which was refused by Patel's daughter, Maniben,who knew to what extent Nehru had done the damage on this great Soldier of India.. The last rites were done in BOmbay and President Rajendra Prasad was uncontrollable touching Patel "What a great son of India..a good friend..How can I forget you my friend.." Prasad was unconsolable.... One man didnt attend the funeral was None Other than "Chacha Nehru.. Now lets all celeberate Childrens Day from Next Year
16 दिसम्बर 1971
आज से ठीक 40 वर्ष पूर्व भारतीय सेना के अमर वीर जवानों ने एक नया इतिहास रचा था. विश्व के मानचित्र को बदला था.
3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तानी पिशाचों ने "आपरेशन चंगेज़ खाँ" के नाम से भारत पर आततायी आक्रमण किया था.
भारतीय सेना के वीर जवानों ने केवल 13 दिनों में ही उस आक्रमण के चीथड़े उड़ा दिए थे. कराची के बंदरगाह और लाहौर के सीने पर भारतीय जवानों की वीरता-शूरता के विलक्षण विजयोत्सव ने समस्त विश्व को अचम्भित कर दिया था और पाकिस्तानी पिशाचों को विश्व इतिहास की सर्वाधिक शर्मनाक पराजय का सामना करने के लिए विवश किया था. भारतीय रणबाकुरों ने उस पिशाच के ही एक अंग (पूर्वी पाकिस्तान) को काट कर बंगलादेश नाम से नए राष्ट्र का उदय करवाया था.
परिणामस्वरुप 16 दिसम्बर 1971 को तिरानबे हज़ार सशस्त्र पाकिस्तानी पिशाचों ने भारतीय सेना के समक्ष घुटने टेक कर प्राणों की भीख मांगी थी.
आज उस विजय दिवस की 40वीं वर्षगाँठ पर देश की सेना के उन वीर जवानों का कोटि कोटि वंदन, अभिनंदन, नमन..!!!
Thursday, 15 December 2011
Mahanagar Times and Jitendra Meena also shared Ramswroop Meena's photo.

माता जी-नही बेटा,दस घरों से मांग कर लाई हूं तुमने भिखारी जो बना दिया है...
Wednesday, 14 December 2011
gandi rajneeti
किरोड़ी-बेनीवाल-चंद्रराज ने भरी साझा हुंकार!
भाजपा से निलंबित खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल के समर्थन में मंगलवार को कलेक्ट्रेट के सामने महारैली हुई। इसमें दौसा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा और जद-यू महासचिव चंद्रराज सिंघवी ने बेनीवाल के साथ मिलकर भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ बिगुल बजा दिया।
किरोड़ी ने किसान राजनीति के नाम पर मारवाड़ से बेनीवाल को नेता घोषित कर पूरे राजस्थान में तीसरे मोर्चे की पहल का प्रस्ताव दिया तो सिंघवी ने कहा कि बेनीवाल को भाजपा से तो निकाला जा सकता है लेकिन कोई ताकत उन्हें केंद्रीय गठबंधन वाले एनडीए से नहीं निकाल सकती।
महारैली में प्रदेश के कई जिलों से पहुंचे लोगों को संबोधित करने किरोड़ी व बेनीवाल जैसे ही पहुंचे तो भीड़ ने उन्हें कंधों पर उठा लिया।
मीणा-जाट साथ हुए तो सीएम जाट बनेगा : किरोड़ी
सांसद मीणा ने कहा कि मारवाड़ के लोग साथ दें तो राजस्थान में परिवर्तन हो जाएगा। वे अपना नेता तय कर लें, राजस्थान की गद्दी उसे ही सौंपी जाएगी। वह तन-मन-धन से उनके साथ हैं। उन्होंने बेनीवाल को तीसरे मोर्चे के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि भाजपा व कांग्रेस की वजह से देश गर्त में जा रहा है। सुखाड़िया, माथुर, जोशी मुख्यमंत्री बने मगर अब तक जाट का बेटा सीएम क्यों नहीं बना।
‘दारिया एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच संभव नहीं’
खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल ने सभा में कहा कि दारिया एनकाउंटर मामले में निष्पक्ष जांच हो ही नहीं सकती। पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने सीएम आवास जाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पैर पकड़े थे। गहलोत व वसुंधरा जाटों के खिलाफ हैं। उन्होंने समझौता कर रखा है।
भाजपा से निलंबित खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल के समर्थन में मंगलवार को कलेक्ट्रेट के सामने महारैली हुई। इसमें दौसा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा और जद-यू महासचिव चंद्रराज सिंघवी ने बेनीवाल के साथ मिलकर भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ बिगुल बजा दिया।
किरोड़ी ने किसान राजनीति के नाम पर मारवाड़ से बेनीवाल को नेता घोषित कर पूरे राजस्थान में तीसरे मोर्चे की पहल का प्रस्ताव दिया तो सिंघवी ने कहा कि बेनीवाल को भाजपा से तो निकाला जा सकता है लेकिन कोई ताकत उन्हें केंद्रीय गठबंधन वाले एनडीए से नहीं निकाल सकती।
महारैली में प्रदेश के कई जिलों से पहुंचे लोगों को संबोधित करने किरोड़ी व बेनीवाल जैसे ही पहुंचे तो भीड़ ने उन्हें कंधों पर उठा लिया।
मीणा-जाट साथ हुए तो सीएम जाट बनेगा : किरोड़ी
सांसद मीणा ने कहा कि मारवाड़ के लोग साथ दें तो राजस्थान में परिवर्तन हो जाएगा। वे अपना नेता तय कर लें, राजस्थान की गद्दी उसे ही सौंपी जाएगी। वह तन-मन-धन से उनके साथ हैं। उन्होंने बेनीवाल को तीसरे मोर्चे के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि भाजपा व कांग्रेस की वजह से देश गर्त में जा रहा है। सुखाड़िया, माथुर, जोशी मुख्यमंत्री बने मगर अब तक जाट का बेटा सीएम क्यों नहीं बना।
‘दारिया एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच संभव नहीं’
खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल ने सभा में कहा कि दारिया एनकाउंटर मामले में निष्पक्ष जांच हो ही नहीं सकती। पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने सीएम आवास जाकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पैर पकड़े थे। गहलोत व वसुंधरा जाटों के खिलाफ हैं। उन्होंने समझौता कर रखा है।

अमर शहीद सरदार ऊधम सिंह जी
ये पोस्ट अवश्य अवश्य और शेयर देखें...... ये फोटो अमर शहीद सरदार ऊधम सिंह जी (जिह...ोने जालियाँवाला बाग के नरसंहार के जनरल डायर की गोली मारकर हत्या की ) के पौत्र सरदार जीत सिंह का है जो आज इस तरह अपना जीवन चलाने को मजबूर हैं। क्या उस अमर शहीद की आत्मा स्वर्ग में रोती न होगी ? क्या आने वाली नस्लों को ये दिन देखने पड़ें इसीलिए उन्होंने कुर्बानी दी थी ? क्या ये तस्वीर हम सब को शर्मसार नहीं कर रही ? राहुल बाबा को तो 100 करोड़ भी मात्र लगता है। इस फोटो को इतना शेयर करो की 10 जनपथ तक पहुंचे, क्यूंकी काँग्रेस सरकार शहीदों का सम्मान करना भूल गयी है। इन्हे सिर्फ स्विस अकाउंट भरना आता है। विचार आमंत्रित हैं ....!!
giri hui soch ke malik ...........sibbal ji
Our very own Kapil Sibal has called for censorship of social media - the last bastion of independent media. Let us teach him a lesson in freedom of expression. Pick up all those discarded colouring pens and let the creativity flow. Its time to stand up for our right to freedom of speech and expression, and at the same time, have some fun we long forgot to have since our school art class days. Come, lets DRAW KAPIL SIBAL and show him how much we LOVE him!

यूपीए सरकार अब तक की सबसे बड़ी लुटेरी सरकार : घनश्याम तिवाड़ी
यूपीए सरकार अब तक की सबसे बड़ी लुटेरी सरकार : घनश्याम तिवाड़ी
विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी ने केंद्र की कांग्रेसनीत यूपीए सरकार को देश की अब तक की सबसे बड़ी लुटेरी सरकार करार दिया है। पिंकसिटी प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान तिवाड़ी ने कहा कि यूपीए सरकार ने पूरे देश में महंगाई और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। प्रदेश में भी कांग्रेस शासित सरकार ने लूट और भ्रष्टाचार को बढ़ाने के सिवाय कुछ भी नही किया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार के सुशासन का हाल यह है कि सरकार का कर्जा एक लाख करोड़ रूपए को पार कर चुका है। बिजली पानी की व्यवस्था बदतर हो चुकी है। तीन साल में सरकार ने प्रदेश को एक बार फिर बीमारू राज्य की श्रेणी में ला दिया है। तिवाड़ी ने कहा कि प्रदेश के मंत्री और प्रमुख नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
यहीं नहीं सरकार भी भ्रष्टाचार के दम पर चल रही है। केंद्र की ओर से नियम बनाए जाने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष बसपा विधायकों के संबंध में अब तक कोई फैसला नहीं कर पाए है। केंद्र ने नियम बनाया है कि राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों का राज्य स्तर पर कहीं भी विलय नहीं हो सकता है। तिवाड़ी ने आरोप जड़ा कि सरकार के मंत्री स्वयं यह कहते हैं कि प्रदेश के थाने प्रॉपर्टी डीलिंग का ऑफिस बन चुके हैं। एक नेता ने तो यहां तक कहा कि कौन सा कांग्रेसी ऎसा है, जिसने लिफाफा नहीं लिया है। इन बातों से ही प्रदेश की कानून-व्यवस्था का पता चलता है।
विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी ने केंद्र की कांग्रेसनीत यूपीए सरकार को देश की अब तक की सबसे बड़ी लुटेरी सरकार करार दिया है। पिंकसिटी प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान तिवाड़ी ने कहा कि यूपीए सरकार ने पूरे देश में महंगाई और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया। प्रदेश में भी कांग्रेस शासित सरकार ने लूट और भ्रष्टाचार को बढ़ाने के सिवाय कुछ भी नही किया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरकार के सुशासन का हाल यह है कि सरकार का कर्जा एक लाख करोड़ रूपए को पार कर चुका है। बिजली पानी की व्यवस्था बदतर हो चुकी है। तीन साल में सरकार ने प्रदेश को एक बार फिर बीमारू राज्य की श्रेणी में ला दिया है। तिवाड़ी ने कहा कि प्रदेश के मंत्री और प्रमुख नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
यहीं नहीं सरकार भी भ्रष्टाचार के दम पर चल रही है। केंद्र की ओर से नियम बनाए जाने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष बसपा विधायकों के संबंध में अब तक कोई फैसला नहीं कर पाए है। केंद्र ने नियम बनाया है कि राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों का राज्य स्तर पर कहीं भी विलय नहीं हो सकता है। तिवाड़ी ने आरोप जड़ा कि सरकार के मंत्री स्वयं यह कहते हैं कि प्रदेश के थाने प्रॉपर्टी डीलिंग का ऑफिस बन चुके हैं। एक नेता ने तो यहां तक कहा कि कौन सा कांग्रेसी ऎसा है, जिसने लिफाफा नहीं लिया है। इन बातों से ही प्रदेश की कानून-व्यवस्था का पता चलता है।

तस्वीर . पाकिस्तान की
तस्वीर . पाकिस्तान की है .......जहा पर हिन्दू लड़की पर बलत्कार करके उसे जला दिया गया लेकिन पाक -सरकार ने कोई भी एक्शन नहीं लिया ........... ये हमारे अस्तित्व की लड़ाई है ....... हमारी सरकार .एंटी-हिन्दू कोम को अंजाम दे रही है और हमें इसे बिलकुल भी सपोर्ट नहीं करना है वरना जो पाकिस्तान में हिन्दुओ के साथ हो रहा है . ..... वो इंडिया में भी सुरु हो जायेगा ....... प्लीज एंटी -हिन्दू सरकार सुप्पोर्ट मत करो ......... नहीं तो हमारे ही देश में हिन्दू नहीं बचेगे......!!!
जनलोकपाल के 3 टुकड़े!
जनलोकपाल के 3 टुकड़े!
नई दिल्ली, 13 दिसम्बर। सरकार ने अण्णा हजारे को तगड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है। भ्रष्टाचार से लडऩे के लिए मजबूत जनलोकपाल बिल की मांग कर रहे अण्णा की इच्छा के विपरीत सरकार आज कैबिनेट में सरकार तीन बिल पास करा सकती है।
इस तरह अण्णा के प्रस्तावित लोकपाल बिल के तीन टुकड़े हो सकते हैं। पहला, न्यायिक जवाबदेही बिल जिसके तहत न्यायपालिका पर नजर रखनी होगी। जजों की संपत्ति का खुलासा करना होगा। इसके अलावा सिटिजन चार्टर के लिए अलग बिल लाया जाएगा। भ्रष्टाचार की शिकायत करने वालों की सुरक्षा से जुड़े व्हीसल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल भी आज की कैबिनेट में शामिल होगा। जबकि अण्णा और अधिकतर विपक्षी दलों की मांग है कि ये तीनों मुद्दे लोकपाल बिल में ही शामिल हो।इससे पहले सर्वदलीय बैठक में सरकारी लोकपाल के ड्राफ्ट पर चर्चा होगी। लोकपाल बिल में जोड़-घटाव करने के लिए 19 दिसंबर को फिर कैबिनेट की बैठक होनी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 15 दिसंबर को रूस जा रहे हैं और 17 को ही स्वदेश लौटेंगे। ऐसे में सरकार इन बिलों को पास कराने की हड़बड़ी में है।
संसद में 20 को आएगा लोकपाल : सरकार ने संकेत दिए हैं कि बहुचर्चित लोकपाल विधेयक 20 दिसंबर को लोकसभा में चर्चा के लिए रखा जा सकता है। कुछ अपवादों के साथ प्रधानमंत्री को उसके दायरे में लाया जा सकता है। मौजूदा शीतकालीन सत्र 22 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।
Tuesday, 13 December 2011
सरकार चल रही है,राजस्थान नहीं!------
सुहाने सपने लिए अकेला राही
गोपाल शर्मा
3 सालों में राजस्थान को अकाल के दुर्दिनों का सामना नहीं करना पड़ा..हम किसी विभीषिका से बचे रहे..राजनीतिक स्थिरता बनी रही..विश्वव्यापी मंदी का असर है लेकिन राजस्थान उसमें डूबा नहीं..मुफ्त दवाएं, सस्ता आवास और अनाज जैसी योजनाओं के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हार्दिक बधाई! भारतीय जनता पार्टी द्वारा उनके परिवार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का जवाब देने में वे सफल रहे..व्यक्तिगत रूप से उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे राजस्थान का सम्मान घटा हो और हम लोगों को नजरें नीची करनी पड़ी हों। गहलोत सरकार सुहाने सपने भरी विभिन्न योजनाएं लिए रेगिस्तानी धोरों की पटरियों से गुजर रही है।
मंत्रिपरिषद अक्षम है। गृह-वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभालने के लिए सक्षम विधायक नहीं हैं। वरिष्ठ मंत्री अनैतिक संबंध और अपहरण के आरोप में गिरफ्तार हैं; एक विधायक की तलाश चल रही है। भंवरी की लपट एक केंद्रीय केबिनेट मंत्री तक पहुंच रही है। एक मंत्री को संदिग्ध मौत सहित विभिन्न आरोपों के चलते हटाना पड़ा; लेकिन निल्र्लज्जता यह कि उनके खिलाफ सरकार ने कोई जांच नहीं बैठाई। गोपालगढ़ में तनावपूर्ण हालात की सूचना मिलने पर कार्यवाही नहीं की गई; और, हालात जब बिगड़ गए तो गोलियां चलानी पड़ी.. लाशें बिछा दी गईं। यह वैसी ही घटना है जैसे कि भंवरी की सीडी की जानकारी होने के बावजूद सरकार ने शीर्ष स्तर पर सौदेबाजी की कोशिश करवाई; और, आखिरकर भंवरी मार डाली गई। राजस्थान के हालात क्या होंगे..राजधानी जयपुर में कानून-व्यवस्था जितनी बिगड़ चुकी है वैसी खराब हालत इससे पहले कभी नहीं रही। एक-एक कर सामने आ रहे घोटाले और ठगी एम्फोर्ट कांड उठाने वाले अशोक गहलोत से सवाल पूछ रहे हैं। राजस्थान के विकास का पहिया थम गया है। एक भ्रष्ट सरकार का विकल्प जड़ सरकार के रूप में सामने आया है। जैसे सामंती तौर-तरीकों वाली महारानी का स्थान एक पूर्वाग्रह ग्रस्त-अहंकारी हो रहे राजनेता ने ले लिया है।
आज तीन वर्ष का कार्यकाल पूर्ण कर रही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने खासकर इस वर्ष मुफ्त दवा योजना, लोक सेवा गारंटी कानून, गरीबों के लिए आवास योजना जैसी उपलब्धियां हासिल की लेकिन गोपालगढ़ फायरिंग, भंवरी देवी सीडी कांड और राजनीतिक ऊहापोह के बीच आरोपी मंत्रियों की विदाई जैसे घटनाक्रमों के दाग के पीछे ये महत्वपूर्ण उपलब्धियां छुप गई हैं। न्यायपालिका की तल्ख टिप्पणियों ने इन्हें और गहरा बनाया है। दो रुपए किलो अनाज और मेट्रो ट्रेन जैसी योजनाओं की शुरुआत के साथ आगे बढ़ी सरकार के लिए विगत पांच माह में हुए घटनाक्रम तीन वर्ष पर भारी पड़ गए हैं। गोपालगढ़ फायरिंग मुद्दे पर पूरी सरकार हिल गई। मुख्यमंत्री परिवर्तन की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के गुपचुप गोपालगढ़ दौरे ने इसे और हवा दी। सरकार को पहली बार प्रशासनिक तंत्र की विफलता स्वीकार करनी पड़ी। एएनएम भंवरी देवी अपहरण और भीलवाड़ा डेयरी चेयरमैन की पत्नी पारस देवी की संदिग्ध मौत के मामले को लेकर दो मंत्रियों महिपाल मदेरणा और रामलाल जाट की मंत्री पद से विदाई हो गई। तीन अन्य मंत्रियों भंवरलाल मेघवाल, प्रमोद जैन और भरोसीलाल जाटव को भी आरोपों से घिरने के कारण हटाना पड़ा।
इन सभी विवादास्पद घटनाक्रमों के बीच सरकार ने मुफ्त दवा योजना शुरू कर महंगे इलाज को तरसते आम लोगों को राहत दी। लोक सेवा गारंटी कानून लागू कर सरकारी कार्यालयों में निश्चित अवधि में काम होना सुनिश्चित किया। गरीबों को नि:शुल्क आवास उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना शुरू की गई।
सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल के बारे में आम लोगों में चर्चा है कि सरकार ने गरीबों को राहत देने के लिए कई तरह की योजनाएं तो बनाई है लेकिन कुछ की क्रियान्विति बेहतर तरीके से नहीं हो पाई और कुछ विवादास्पद घटनाओं के कारण अधिक चर्चित नहीं हो सकी। योजनाओं के बावजूद सरकार की छवि को लेकर लोगों में नकारात्मकता देखी जा रही है।
कांग्रेस जहां सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल को उपलब्धियों भरा बता रही है, वहीं भाजपा इन विवादास्पद घटनाक्रमों को लेकर सरकार को नकारा बता रही है।
मीडिया की परवाह मत करो..गहलोत
सरकार की उपलब्धियों का प्रचार करने आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान मीडिया पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मीडिया उनको लेकर बेवजह दुष्प्रचार कर रहा है। उनके बारे में लिखा जा रहा है कि वे कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी से मुलाकात नहीं कर पा रहे हैं। गहलोत ने इस पर कहा कि वे 35 वर्ष से राजनीति कर रहे हैं। उनके नेता का उन पर इतना भरोसा है कि वे जब चाहें उनसे मुलाकात कर सकते हैं। वे तीन बार प्रदेश अध्यक्ष, दो बार मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि सरकार अच्छा कर रही है, कई जनकल्याणकारी योजनाएं बनाई जा रही हैं। वे मीडिया की आलोचनाओं को सकारात्मक रूप से लेते हैं। कार्यकर्ता योजनाओं का प्रचार करें। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे मीडिया की परवाह नहीं करें। सरकार अच्छा कार्य करेगी तो जनता उसको सराहेगी।
डॉ. चंद्रभान और कुतिया
सरकार की तीन वर्ष की उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाने के लिए कार्यकर्ताओं को प्र्रेरित कर रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने गहलोत सरकार को कुतिया की संज्ञा दे डाली। उन्होंने कार्यकर्ताओं को अपने संबोधन में एक मारवाड़ी कहावत को दोहराते हुए कहा, ‘कुतिया तो भुस.. भुस.. कर मर गई और धणी को दाय ही नहीं आई।Ó चंद्रभान की इस टिप्पणी के बाद इस बात की चर्चा गर्म हो गई कि आखिर उन्होंने कुतिया शब्द किसके लिए कहे? क्योंकि वर्तमान हालातों में यह कहावत सरकार पर सटीक बैठ रही है। हालांकि बाद में चद्रभान ने पत्रकारों के पूछने पर बात को संभालते हुए स्पष्ट किया कि सरकार ने राज्य में कई जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं लेकिन प्रचार प्रसार नहीं होने के कारण उनका लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है इसलिए कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वे सरकार की विभिन्न योजनाओं का प्रचार प्रसार अपने क्षेत्रों में करें और लोगों को इनका लाभ दिलवाएं तभी जनता को पता लगेगा कि सरकार उनके लिए कितना काम कर रही है।
गोपाल शर्मा
3 सालों में राजस्थान को अकाल के दुर्दिनों का सामना नहीं करना पड़ा..हम किसी विभीषिका से बचे रहे..राजनीतिक स्थिरता बनी रही..विश्वव्यापी मंदी का असर है लेकिन राजस्थान उसमें डूबा नहीं..मुफ्त दवाएं, सस्ता आवास और अनाज जैसी योजनाओं के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हार्दिक बधाई! भारतीय जनता पार्टी द्वारा उनके परिवार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का जवाब देने में वे सफल रहे..व्यक्तिगत रूप से उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे राजस्थान का सम्मान घटा हो और हम लोगों को नजरें नीची करनी पड़ी हों। गहलोत सरकार सुहाने सपने भरी विभिन्न योजनाएं लिए रेगिस्तानी धोरों की पटरियों से गुजर रही है।
मंत्रिपरिषद अक्षम है। गृह-वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभालने के लिए सक्षम विधायक नहीं हैं। वरिष्ठ मंत्री अनैतिक संबंध और अपहरण के आरोप में गिरफ्तार हैं; एक विधायक की तलाश चल रही है। भंवरी की लपट एक केंद्रीय केबिनेट मंत्री तक पहुंच रही है। एक मंत्री को संदिग्ध मौत सहित विभिन्न आरोपों के चलते हटाना पड़ा; लेकिन निल्र्लज्जता यह कि उनके खिलाफ सरकार ने कोई जांच नहीं बैठाई। गोपालगढ़ में तनावपूर्ण हालात की सूचना मिलने पर कार्यवाही नहीं की गई; और, हालात जब बिगड़ गए तो गोलियां चलानी पड़ी.. लाशें बिछा दी गईं। यह वैसी ही घटना है जैसे कि भंवरी की सीडी की जानकारी होने के बावजूद सरकार ने शीर्ष स्तर पर सौदेबाजी की कोशिश करवाई; और, आखिरकर भंवरी मार डाली गई। राजस्थान के हालात क्या होंगे..राजधानी जयपुर में कानून-व्यवस्था जितनी बिगड़ चुकी है वैसी खराब हालत इससे पहले कभी नहीं रही। एक-एक कर सामने आ रहे घोटाले और ठगी एम्फोर्ट कांड उठाने वाले अशोक गहलोत से सवाल पूछ रहे हैं। राजस्थान के विकास का पहिया थम गया है। एक भ्रष्ट सरकार का विकल्प जड़ सरकार के रूप में सामने आया है। जैसे सामंती तौर-तरीकों वाली महारानी का स्थान एक पूर्वाग्रह ग्रस्त-अहंकारी हो रहे राजनेता ने ले लिया है।
आज तीन वर्ष का कार्यकाल पूर्ण कर रही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने खासकर इस वर्ष मुफ्त दवा योजना, लोक सेवा गारंटी कानून, गरीबों के लिए आवास योजना जैसी उपलब्धियां हासिल की लेकिन गोपालगढ़ फायरिंग, भंवरी देवी सीडी कांड और राजनीतिक ऊहापोह के बीच आरोपी मंत्रियों की विदाई जैसे घटनाक्रमों के दाग के पीछे ये महत्वपूर्ण उपलब्धियां छुप गई हैं। न्यायपालिका की तल्ख टिप्पणियों ने इन्हें और गहरा बनाया है। दो रुपए किलो अनाज और मेट्रो ट्रेन जैसी योजनाओं की शुरुआत के साथ आगे बढ़ी सरकार के लिए विगत पांच माह में हुए घटनाक्रम तीन वर्ष पर भारी पड़ गए हैं। गोपालगढ़ फायरिंग मुद्दे पर पूरी सरकार हिल गई। मुख्यमंत्री परिवर्तन की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के गुपचुप गोपालगढ़ दौरे ने इसे और हवा दी। सरकार को पहली बार प्रशासनिक तंत्र की विफलता स्वीकार करनी पड़ी। एएनएम भंवरी देवी अपहरण और भीलवाड़ा डेयरी चेयरमैन की पत्नी पारस देवी की संदिग्ध मौत के मामले को लेकर दो मंत्रियों महिपाल मदेरणा और रामलाल जाट की मंत्री पद से विदाई हो गई। तीन अन्य मंत्रियों भंवरलाल मेघवाल, प्रमोद जैन और भरोसीलाल जाटव को भी आरोपों से घिरने के कारण हटाना पड़ा।
इन सभी विवादास्पद घटनाक्रमों के बीच सरकार ने मुफ्त दवा योजना शुरू कर महंगे इलाज को तरसते आम लोगों को राहत दी। लोक सेवा गारंटी कानून लागू कर सरकारी कार्यालयों में निश्चित अवधि में काम होना सुनिश्चित किया। गरीबों को नि:शुल्क आवास उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण बीपीएल आवास योजना शुरू की गई।
सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल के बारे में आम लोगों में चर्चा है कि सरकार ने गरीबों को राहत देने के लिए कई तरह की योजनाएं तो बनाई है लेकिन कुछ की क्रियान्विति बेहतर तरीके से नहीं हो पाई और कुछ विवादास्पद घटनाओं के कारण अधिक चर्चित नहीं हो सकी। योजनाओं के बावजूद सरकार की छवि को लेकर लोगों में नकारात्मकता देखी जा रही है।
कांग्रेस जहां सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल को उपलब्धियों भरा बता रही है, वहीं भाजपा इन विवादास्पद घटनाक्रमों को लेकर सरकार को नकारा बता रही है।
मीडिया की परवाह मत करो..गहलोत
सरकार की उपलब्धियों का प्रचार करने आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान मीडिया पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मीडिया उनको लेकर बेवजह दुष्प्रचार कर रहा है। उनके बारे में लिखा जा रहा है कि वे कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी से मुलाकात नहीं कर पा रहे हैं। गहलोत ने इस पर कहा कि वे 35 वर्ष से राजनीति कर रहे हैं। उनके नेता का उन पर इतना भरोसा है कि वे जब चाहें उनसे मुलाकात कर सकते हैं। वे तीन बार प्रदेश अध्यक्ष, दो बार मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि सरकार अच्छा कर रही है, कई जनकल्याणकारी योजनाएं बनाई जा रही हैं। वे मीडिया की आलोचनाओं को सकारात्मक रूप से लेते हैं। कार्यकर्ता योजनाओं का प्रचार करें। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे मीडिया की परवाह नहीं करें। सरकार अच्छा कार्य करेगी तो जनता उसको सराहेगी।
डॉ. चंद्रभान और कुतिया
सरकार की तीन वर्ष की उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाने के लिए कार्यकर्ताओं को प्र्रेरित कर रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान ने गहलोत सरकार को कुतिया की संज्ञा दे डाली। उन्होंने कार्यकर्ताओं को अपने संबोधन में एक मारवाड़ी कहावत को दोहराते हुए कहा, ‘कुतिया तो भुस.. भुस.. कर मर गई और धणी को दाय ही नहीं आई।Ó चंद्रभान की इस टिप्पणी के बाद इस बात की चर्चा गर्म हो गई कि आखिर उन्होंने कुतिया शब्द किसके लिए कहे? क्योंकि वर्तमान हालातों में यह कहावत सरकार पर सटीक बैठ रही है। हालांकि बाद में चद्रभान ने पत्रकारों के पूछने पर बात को संभालते हुए स्पष्ट किया कि सरकार ने राज्य में कई जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं लेकिन प्रचार प्रसार नहीं होने के कारण उनका लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है इसलिए कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वे सरकार की विभिन्न योजनाओं का प्रचार प्रसार अपने क्षेत्रों में करें और लोगों को इनका लाभ दिलवाएं तभी जनता को पता लगेगा कि सरकार उनके लिए कितना काम कर रही है।
अफजल गुरू का क्षमादान अनुरोध विचाराधीन
ष्ट्रपति सचिवालय ने यह जानकारी दी कि अफजल गुरू का क्षमादान अनुरोध अभी तक विचाराधीन है.
संसद पर हमले के एक दशक पुराने मामले में दोषी ठहराए गए मोहम्मद अफजल गुरू का क्षमादान अनुरोध उन 14 क्षमादान अनुरोधों में शामिल है जिनपर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का विचार करना बाकी है.
आरटीआई के तहत एक सवाल के जवाब में राष्ट्रपति सचिवालय ने गुरू के क्षमादान अनुरोध से संबंधित पत्राचार और फाइल टिप्पणियों की प्रतियों के प्रकटीकरण से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि ये ‘मंत्रिपरिषद, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विमर्श के रिकार्ड हैं.’
जवाब में कहा गया है कि 2008 और 2011 के बीच राष्ट्रपति कार्यालय को कुल 27 क्षमादान अनुरोध प्राप्त हुए. इनमें राजीव गांधी हत्याकांड के तीन दोषियों का एक अनुरोध है.
जवाब में कहा गया है कि 27 अनुरोधों में से तीन खारिज कर दिए गए और 10 की सजाए मौत उम्रकैद की सजा में बदल दी गई. 14 अन्य अनुरोधों पर फैसला किया जाना बाकी है.
राष्ट्रपति ने इस साल 14 मार्च को राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी टी. सुथेतीराजा, श्रहरन और जी. पेरारिवालन का अनुरोध खारिज कर दिया था. सचिवालय ने दाखिल आरटीआई प्रश्न के जवाब में कहा, मोहम्मद अफजल गुरू का क्षमादान अनुरोध अब भी राष्ट्रपति के विचाराधीन है.
जवाब में यह भी कहा गया है कि अतिरिक्त सूचना ‘आरटीआई अधिनियम की धारा 8-1(1) के तहत प्रकटीकरण से मुक्त है.’
यह धारा ‘मंत्रिपरिषद, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विमर्श के रिकार्ड समेत कैबिनेट दस्तावेजों’ को प्रकटीकरण से रोकती है.जवाब के अनुसार क्षमादान अनुरोधों पर फैसले के लिए ‘कोई निर्धारित समयसीमा’ नहीं है.
संसद पर हमले के एक दशक पुराने मामले में दोषी ठहराए गए मोहम्मद अफजल गुरू का क्षमादान अनुरोध उन 14 क्षमादान अनुरोधों में शामिल है जिनपर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का विचार करना बाकी है.
आरटीआई के तहत एक सवाल के जवाब में राष्ट्रपति सचिवालय ने गुरू के क्षमादान अनुरोध से संबंधित पत्राचार और फाइल टिप्पणियों की प्रतियों के प्रकटीकरण से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि ये ‘मंत्रिपरिषद, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विमर्श के रिकार्ड हैं.’
जवाब में कहा गया है कि 2008 और 2011 के बीच राष्ट्रपति कार्यालय को कुल 27 क्षमादान अनुरोध प्राप्त हुए. इनमें राजीव गांधी हत्याकांड के तीन दोषियों का एक अनुरोध है.
जवाब में कहा गया है कि 27 अनुरोधों में से तीन खारिज कर दिए गए और 10 की सजाए मौत उम्रकैद की सजा में बदल दी गई. 14 अन्य अनुरोधों पर फैसला किया जाना बाकी है.
राष्ट्रपति ने इस साल 14 मार्च को राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी टी. सुथेतीराजा, श्रहरन और जी. पेरारिवालन का अनुरोध खारिज कर दिया था. सचिवालय ने दाखिल आरटीआई प्रश्न के जवाब में कहा, मोहम्मद अफजल गुरू का क्षमादान अनुरोध अब भी राष्ट्रपति के विचाराधीन है.
जवाब में यह भी कहा गया है कि अतिरिक्त सूचना ‘आरटीआई अधिनियम की धारा 8-1(1) के तहत प्रकटीकरण से मुक्त है.’
यह धारा ‘मंत्रिपरिषद, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विमर्श के रिकार्ड समेत कैबिनेट दस्तावेजों’ को प्रकटीकरण से रोकती है.जवाब के अनुसार क्षमादान अनुरोधों पर फैसले के लिए ‘कोई निर्धारित समयसीमा’ नहीं है.
जेल में मदेरणा को एक और पद सौपा
जीएसएसएस के सदस्य और ग्रामीण मदेरणा को मान रहे हैं निर्दोष
ओसियां। एएनएम भंवरी देवी अपहरण मामले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा ने विरोधियों को अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास करा दिया है।
मदेरणा ओसियां की ग्राम सेवा सहकारी समिति(जीएसएसएस) के अध्यक्ष निर्वाचित हुए है। चाड़ी चौथीना जीएसएसएस की ओर से मदेरणा को निर्विरोध चुना गया है। जीएसएसएस के सदस्य और ग्रामीण भंवरी मामले में मदेरणा को निर्दोष मान रहे हैं। उनकी माने तो मदरेणा राजनीतिक षड़यंत्र का शिकार हुए हैं। गौरतलब है कि मदेरणा फिलहाल जोधपुर की जेल में बंद हैं। जेल में रहते हुए चुनाव जीतना अपने क्षेत्र में पकड़ का अहसास कराता है।
ओसियां। एएनएम भंवरी देवी अपहरण मामले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा ने विरोधियों को अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास करा दिया है।
मदेरणा ओसियां की ग्राम सेवा सहकारी समिति(जीएसएसएस) के अध्यक्ष निर्वाचित हुए है। चाड़ी चौथीना जीएसएसएस की ओर से मदेरणा को निर्विरोध चुना गया है। जीएसएसएस के सदस्य और ग्रामीण भंवरी मामले में मदेरणा को निर्दोष मान रहे हैं। उनकी माने तो मदरेणा राजनीतिक षड़यंत्र का शिकार हुए हैं। गौरतलब है कि मदेरणा फिलहाल जोधपुर की जेल में बंद हैं। जेल में रहते हुए चुनाव जीतना अपने क्षेत्र में पकड़ का अहसास कराता है।
गैर-सरकारी संगठनों का भ्रष्टाचार
समाजोत्थान के निमित्त विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक रूप से दबे, पिछड़े, अनाथ और निराश्रित लोगों के कल्याण का दंभ भरने वाले गैर-सरकारी संगठनों की विश्वसनीयता का सवाल आज बहस का बड़ा मुद्दा है. जिस तेजी से इनकी असलियत जनता के सामने आ रही है, उससे साबित हो जाता है कि ऐसे ज्यादातर संगठनों का ध्यान धर्नाजन की ओर अधिक है और कई तो लूट- खसोट की एजेंसी भर बन कर रह गए हैं. इसके चलते आज ये संगठन सेवा के केन्द्र नहीं, बल्कि व्यवसाय के अड्डे बनकर रह गये हैं. देश में तकरीब तीन करोड़ तीस लाख गैर-सरकारी संगठन पंजीकृत हैं. इनमें अनेक संगठन कागजों पर ही चल रहे हैं और सरकारी या फंडिग एजेन्सियों के अधिकारियों की मिलीभगत से अरबों की राशि की बंदरबांट हो जाती है. संगठनों की करीब पचास फीसद राशि का इस्तेमाल सही मद में होता ही नहीं है. जबकि इन्हें दान या सहायता देने वाले देश इस मुगालते में रहते हैं कि उनके द्वारा दिये गए धन का पूरी तरह सही लोगों की खातिर इस्तेमाल हो रहा है. आज अनेक राजनीतिक दलों के छुटभइये से लेकर बड़े नेता तक एनजीओ चला रहे हैं और अपनी पहुंच के बलबूते अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन, इंग्लैंड, जापान, कनाडा,नार्वे, जर्मनी, रूस, आस्ट्रेलिया समेत अनेक देशों से शिक्षा, बाल-विकास, बंधुआ मजदूरी, पर्यावरण, धर्म प्रचार, साफ-सफाई, बीज, सुलभ शौचालय, दहेज उन्मूलन, अंधविश्वास व कुप्रथा तोड़ने और बाल श्रम उन्मूलन आदि कार्योँ के लिए अरबों की राशि ला रहे हैं. कहा जा रहा है कि अस्सी फीसद संगठन इस धंधे के जरिये अपने परिवार का भविष्य संवार रहे हैं. देश में कुल पंजीकृत तीन करोड़ तीस लाख संस्थाओं में से तकरीबन 45 फीसद का पंजीयन सन 2000 के बाद हुआ. इसमें महाराष्ट्र ने कीर्तिमान बनाया है. वहां 4.8 लाख पंजीकृत संस्थाएं हैं जबकि आंध्र में 4.6 लाख और राजस्थान में तकरीब एक लाख हैं. इनके अलावा उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, तमिलनाडु व गुजरात में अस्सी फीसद पंजीकृत संस्थाएं हैं. ये सभी संस्थाएं समाज व स्वयं का कितना हित कर रही हैं, यह इनके आकाओँ-स्वामियों के स्तर, उनकी अदृश्य अकूत संपत्ति, पारिवारिक सदस्यों के नाम पर व फर्जीवाड़े के रूप में खरीदी संपत्ति से लगाया जा सकता है. यही नहीं ये सालाना इनकम टैक्स रिटर्न का खुलासा करने के लिए भी बाध्य नहीं है. संयुक्त राष्ट्र और विश्वबैंक द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों-क्षेत्रों के कल्याण के लिए इन्हें जो आर्थिक सहायता दी जाती है, उसमें इनकी भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्देश होता है. गृह मंत्रालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2005-06 और 2006-07 के वित्तीय वर्ष के दौरान इन संस्थाओं को मिलने वाली विदेशी सहायता में तकरीब 55-56 फीसद की बढ़ोतरी हुई और अकेले 2008 में 2.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता मिली. दरअसल विदेशों से मिलने वाली इस सहायता के लोभ में ही लूट-खसोट का गोरखधंधा शुरू होता है. कुछ समय पहले केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की स्वायत्त इकाई काउंसिल फॉर एडवांसमेंट ऑफ पीपुल्स एक्शन एंड रूरल टेक्नालॉजी (कपार्ट) ने इस तरह मिले धन का दुरुपयोग करने के आरोप में देश भर में तकरीब एक हजार एनजीओ को न केवल काली सूची में डाल दिया है, बल्कि भविष्य में उनके द्वारा काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. बहरहाल, आज अधिसंख्य के प्रति जनता में अच्छी धारणा नहीं है. हां, कुछ हैं जो सरकारी अनुदान या विदेशी सहायता के बगैर जी-जान से समाज सेवा में जुटे हैं. कुछ संस्थाएं हैं विदेशी संस्थाओं और सरकार से मिले अनुदान का सही इस्तेमाल करती हैं लेकिन उनका न सही मूल्यांकन हो पाता है और न पहचान. कहने को तो इनकी कार्यप्रणाली पर नजर रखने के लिए क्रेडिबिलिटी एलायंस जैसे संगठन मौजूद हैं जिन्होंने ऐसे संगठनों पर पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए गाइडलाइंस भी तैयार की हैं लेकिन उन पर अमल कौन करता है? एनजीओ को जो विदेशी धन सहायता के रूप में मिलता है, उसकी निगरानी के लिए विदेशी दान नियमन कानून है. फिर विदेशी सहायता देने वाली संस्थाएं अपने दिए धन के इस्तेमाल की जांच-परख भी करती हैं. लेकिन उन्हें संतुष्ट करने में इन्हें महारथ हासिल है. इस क्षेत्र में विदेशी धन के अलावा सरकारी धन भी बड़ी मात्रा में लगा है. यह राशि लगातार बढ़ती जा रही है क्योंकि इन्हीं संगठनों के माध्यम से अनेक सरकारी कार्यक्रम लागू हो रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि इन संगठनों के भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाया जाए.
अमेरिका ने पाक की मदद रोकी
वाशिंगटन और इस्लामाबाद के तल्ख रिश्तों के बीच पाकिस्तान को मिलने वाली 70 करोड़ डॉलर की मदद पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है.
अमेरिकी कांग्रेस की ओर से यह रोक तब तक लगाने का प्रस्ताव दिया गया है जब तक पाकिस्तानी सरकार अफगानिस्तान में विनाशकारी आईईडी विस्फोटकों के प्रसार से लड़ने की एक कारगर रणनीति नहीं बनाती.
पहले से तनावपूर्ण चल रहे अमेरिका-पाकिस्तान रिश्तों में कांग्रेस के इस कदम से और तल्खी आ सकती है.
इस मामले पर रुख कड़ा करते हुए सीनेट और प्रतिनिधि सभा की एक समिति ने कल पाकिस्तान को दी जाने वाली 70 करोड़ डॉलर की मदद रोकने पर सहमति जताई. यह सहमति रक्षा अनुज्ञा विधेयक :डिफेंस ऑथराइजेशन बिल:- 2012 के संदर्भ में बनी है.
पाकिस्तान पर यह सख्ती करने के साथ ही इस विधेयक का लक्ष्य ईरान के सेंट्रल बैंक को निशाना बनाना और गुआंतानामो खाड़ी की जेल को बंद करने की योजना के संदर्भ में नई बंदिशे लगाना है.
इस विधेयक पर दोनों सदनों में इसी सप्ताह मतदान होगा. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पहले ही आगाह कर दिया है कि वह ऐसे किसी भी विधेयक पर वीटो करेंगे जिसमें अमेरिका को निशाना बनाने वाले संदिग्ध आतंकवादियों को सैन्य हिरासत में भेजे जाने की बात होगी.
आर्म्ड सर्विसेज कमिटी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘रोकी जाने वाली राशि में ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए दी जाने वाली 1.1 अरब डॉलर की मदद का है.’’
पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिन्हें अमेरिका से बहुत ज्यादा मदद मिलती है. कांग्रेस के इस नए कदम को मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी मदद का एक बेहद छोटा हिस्सा ही इस्लामाबाद तक पहुंच पाएगा.
इस कदम से दोनों देशों के रिश्तें में और तल्खी आ सकती है. नाटो हमले में पाकिस्तान के 24 सैनिकों के मारे जाने के बाद से दोनों मुल्कों के रिश्तों में पहले ही तल्खी काफी बढ़ चुकी है.
कांग्रेस की समिति के इस प्रस्तावित कदम की पृष्ठभूमि आईईडी विस्फोटकों का प्रसार है. इसका इस्तेमाल आतंकवादी अफगानस्तिान में अमेरिकी और नाटो सैनिकों के खिलाफ करते हैं.
अमेरिकी कांग्रेस की ओर से यह रोक तब तक लगाने का प्रस्ताव दिया गया है जब तक पाकिस्तानी सरकार अफगानिस्तान में विनाशकारी आईईडी विस्फोटकों के प्रसार से लड़ने की एक कारगर रणनीति नहीं बनाती.
पहले से तनावपूर्ण चल रहे अमेरिका-पाकिस्तान रिश्तों में कांग्रेस के इस कदम से और तल्खी आ सकती है.
इस मामले पर रुख कड़ा करते हुए सीनेट और प्रतिनिधि सभा की एक समिति ने कल पाकिस्तान को दी जाने वाली 70 करोड़ डॉलर की मदद रोकने पर सहमति जताई. यह सहमति रक्षा अनुज्ञा विधेयक :डिफेंस ऑथराइजेशन बिल:- 2012 के संदर्भ में बनी है.
पाकिस्तान पर यह सख्ती करने के साथ ही इस विधेयक का लक्ष्य ईरान के सेंट्रल बैंक को निशाना बनाना और गुआंतानामो खाड़ी की जेल को बंद करने की योजना के संदर्भ में नई बंदिशे लगाना है.
इस विधेयक पर दोनों सदनों में इसी सप्ताह मतदान होगा. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पहले ही आगाह कर दिया है कि वह ऐसे किसी भी विधेयक पर वीटो करेंगे जिसमें अमेरिका को निशाना बनाने वाले संदिग्ध आतंकवादियों को सैन्य हिरासत में भेजे जाने की बात होगी.
आर्म्ड सर्विसेज कमिटी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘रोकी जाने वाली राशि में ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए दी जाने वाली 1.1 अरब डॉलर की मदद का है.’’
पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिन्हें अमेरिका से बहुत ज्यादा मदद मिलती है. कांग्रेस के इस नए कदम को मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी मदद का एक बेहद छोटा हिस्सा ही इस्लामाबाद तक पहुंच पाएगा.
इस कदम से दोनों देशों के रिश्तें में और तल्खी आ सकती है. नाटो हमले में पाकिस्तान के 24 सैनिकों के मारे जाने के बाद से दोनों मुल्कों के रिश्तों में पहले ही तल्खी काफी बढ़ चुकी है.
कांग्रेस की समिति के इस प्रस्तावित कदम की पृष्ठभूमि आईईडी विस्फोटकों का प्रसार है. इसका इस्तेमाल आतंकवादी अफगानस्तिान में अमेरिकी और नाटो सैनिकों के खिलाफ करते हैं.
पुणे में सुखोई गिरा, पायलट सेफ
पुणे।। वायु सेना का सुखोई लड़ाकू विमान मंगलवार को पुणे के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दुर्घटना में पायलट सुरक्षित बच गया। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी।
अधिकारी ने बताया कि एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान दोपहर करीब 1.30 बजे दुर्घटनाग्रस्त हुआ। अधिकारी ने कहा, ‘पायलट सुरक्षित है।’ इस दुर्घटना के कारण जान-माल के नुकसान के बारे में अभी जानकारी नहीं मिल पाई है।
विमान ने पुणे के बाहर स्थित लोहेगांव हवाई ठिकाने से उड़ान भरी थी। 1997 में सेवा में शामिल किए जाने के बाद से तीसरा एसयू-30 विमान दुर्घनाग्रस्त हुआ है।
अधिकारी ने बताया कि एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान दोपहर करीब 1.30 बजे दुर्घटनाग्रस्त हुआ। अधिकारी ने कहा, ‘पायलट सुरक्षित है।’ इस दुर्घटना के कारण जान-माल के नुकसान के बारे में अभी जानकारी नहीं मिल पाई है।
विमान ने पुणे के बाहर स्थित लोहेगांव हवाई ठिकाने से उड़ान भरी थी। 1997 में सेवा में शामिल किए जाने के बाद से तीसरा एसयू-30 विमान दुर्घनाग्रस्त हुआ है।
समाजसेवी अन्ना हज़ारे की जान को ख़तरा है
समाजसेवी अन्ना हज़ारे की जान को ख़तरा है. खुफिया सूत्रों से प्राप्त सूचना के आधार पर इस बात की आशंका जताई गई है.
खुफिया विभाग के सूत्रों के मुताबिक अन्ना को एड्स से प्रभावित सुई चुभोई जा सकती है. सूत्रों का कहना है कि सुऊ चुभोने का काम किसी भीड़-भाड़ वाले स्थान पर किया जा सकता है.
अन्ना के ऊपर मंडराते ख़तरे को देखते हुए ही दिल्ली पुलिस ने उनसे अनुरोध किया था कि 11 दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर वह अपना कार्यक्रम शाम 5 बजे से पहले खत्म कर दें. उल्लेखनीय है कि लोकपाल की मांग को लेकर रविवार 11 दिसंबर को अन्ना जंतर मंतर पर एक दिन के अनशन पर बैठे थे. उनके साथ टीम अन्ना के सदस्य और विपक्षी दलों के तमाम नेता भी मंच पर आए थे. अन्ना के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनसमूह वहां एकत्रित हुआ था.
खुफिया विभाग के मुताबिक टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल की जान को भी ख़तरा है. उनसे अनुरोध किया गया है कि वह मॉर्निंग वॉक के समय विशेष सावधानी बरतें.
अन्ना की सुरक्षा को देखते हुए रालेगण सिद्धि में चार लोगों को लगाया गया है.
खुफिया विभाग के सूत्रों के मुताबिक अन्ना को एड्स से प्रभावित सुई चुभोई जा सकती है. सूत्रों का कहना है कि सुऊ चुभोने का काम किसी भीड़-भाड़ वाले स्थान पर किया जा सकता है.
अन्ना के ऊपर मंडराते ख़तरे को देखते हुए ही दिल्ली पुलिस ने उनसे अनुरोध किया था कि 11 दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर वह अपना कार्यक्रम शाम 5 बजे से पहले खत्म कर दें. उल्लेखनीय है कि लोकपाल की मांग को लेकर रविवार 11 दिसंबर को अन्ना जंतर मंतर पर एक दिन के अनशन पर बैठे थे. उनके साथ टीम अन्ना के सदस्य और विपक्षी दलों के तमाम नेता भी मंच पर आए थे. अन्ना के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनसमूह वहां एकत्रित हुआ था.
खुफिया विभाग के मुताबिक टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल की जान को भी ख़तरा है. उनसे अनुरोध किया गया है कि वह मॉर्निंग वॉक के समय विशेष सावधानी बरतें.
अन्ना की सुरक्षा को देखते हुए रालेगण सिद्धि में चार लोगों को लगाया गया है.
मुफ्त बाटेंगे आलू
Wednesday, 7 December 2011
राहुल गाँधी का जो इतिहास है, उनकी काबिलियत का जो स्तर है, यदि वे पंडित नेहरु के खानदान के न हुए होते तो खुद कहाँ भीख मांगते होते इसका पता उन्हें नहीं है. उनका बयान न केवल उनकी बदमिजाजी का द्योतक है बल्कि उनके मानसिक अधकचरेपन का भी लक्षण है. वे बिलकुल पढ़ते-लिखते नहीं हैं और भारत के बारे में उनका ज्ञान भी पूरा नहीं है. सवाल केवल यूपी के लोगों की भावना को ठेस लगने या नहीं लगने का नहीं है. यह भारत की एकता और अखंडता से जुदा प्रश्न है...
wall mart ki kahani
भारत में 100% FDI पास करवाने के लिए वालमार्ट ने अमेरिकी सीनेट को ४० हजार करोड़ डॉलर की घुस दी है ....
भारत में 100% FDI पास करवाने के लिए वालमार्ट और अमेरिकी रिटेल कंपनियों ने अमेरिकी सीनेट को ४० हजार करोड़ डॉलर की घुस दी है ....
इसलिए कोंग्रेस इस कदम से पीछे हट नहीं रही है मनमोहन अपने इस निर्णय से टस से मस नहीं हो रहे है .... उसकी सहयोगी पार्टियाँ तृणमूल कोंग्रेस और DMK भी इस निर्णय पर सरकार के... साथ नहीं है परन्तु कोंग्रेस अपने निर्णय पर अभी भी कायम है ... एडवांस पैसे ले लिए होंगे अब क्या करे गले की हड्डी बन गया है यह बिल ....
अच्छा हुआ इनकी ही नीतियों से इन लुटेरो की असलियत सामने आ गई की इनकी नियत क्या है पूरा देश इनकी नीतियों का विरोध कर रहा है इसका मतलब की इन लोगो की नियत में जबरदस्त खोट थी सोचो अगर इसके खिलाफ आन्दोलन नहीं हो तो ... ?
ऐसे ही इस कोंग्रेस ने इस देश की लुटिया डुबोई है ...
अब मीडिया की चाल भी काम नहीं चल रही है पहले मीडिया FDI के पक्ष में खूब प्रचार कर रही थी लेकिन जैसे ही देश के १५ मुख्यमंत्रियों ने इसका जबरदस्त विरोध किया तो इनकी चाल में असाधारण परिवर्तन आ गया यहाँ तक की बाजारवाद के समर्थक और विदेशी कंपनियों के विज्ञापन की हड्डियों के लिए लालायित टाइम्स ऑफ़ इंडिया नाम के कोंग्रेसी समाचार पत्र ने को भी FDI के पक्ष में अपना अभियान ठन्डे बसते में डालना पड़ा TRP गिरती वो अलग और जनता जूते सुंघाती सो अलग ....See More
भारत में 100% FDI पास करवाने के लिए वालमार्ट और अमेरिकी रिटेल कंपनियों ने अमेरिकी सीनेट को ४० हजार करोड़ डॉलर की घुस दी है ....
इसलिए कोंग्रेस इस कदम से पीछे हट नहीं रही है मनमोहन अपने इस निर्णय से टस से मस नहीं हो रहे है .... उसकी सहयोगी पार्टियाँ तृणमूल कोंग्रेस और DMK भी इस निर्णय पर सरकार के... साथ नहीं है परन्तु कोंग्रेस अपने निर्णय पर अभी भी कायम है ... एडवांस पैसे ले लिए होंगे अब क्या करे गले की हड्डी बन गया है यह बिल ....
अच्छा हुआ इनकी ही नीतियों से इन लुटेरो की असलियत सामने आ गई की इनकी नियत क्या है पूरा देश इनकी नीतियों का विरोध कर रहा है इसका मतलब की इन लोगो की नियत में जबरदस्त खोट थी सोचो अगर इसके खिलाफ आन्दोलन नहीं हो तो ... ?
ऐसे ही इस कोंग्रेस ने इस देश की लुटिया डुबोई है ...
अब मीडिया की चाल भी काम नहीं चल रही है पहले मीडिया FDI के पक्ष में खूब प्रचार कर रही थी लेकिन जैसे ही देश के १५ मुख्यमंत्रियों ने इसका जबरदस्त विरोध किया तो इनकी चाल में असाधारण परिवर्तन आ गया यहाँ तक की बाजारवाद के समर्थक और विदेशी कंपनियों के विज्ञापन की हड्डियों के लिए लालायित टाइम्स ऑफ़ इंडिया नाम के कोंग्रेसी समाचार पत्र ने को भी FDI के पक्ष में अपना अभियान ठन्डे बसते में डालना पड़ा TRP गिरती वो अलग और जनता जूते सुंघाती सो अलग ....See More
American policy
Be nice(let them loot oil) to Americans or they'll bring (forced and American puppet)democracy in your country :)....it is a three step process..
1st control and inject false propaganda and anti national sentiment in the people by using puppet media(tv and newspaper) and
2nd bombard and control manipulate all puppet social networking websites with anti national protests..
3rd and the most important FINANCIALLY ENSLAVE the country through IMF and WORLD BANK ....CIVIL RIOTS AND UNREST DUE TO HYPER INFLATION ,AND MONETARY POLICIES AS PER THE GUIDELINES AND PRESSURE FROM "WORLD BANK AND IMF"
Subscribe to:
Posts (Atom)