वाशिंगटन और इस्लामाबाद के तल्ख रिश्तों के बीच पाकिस्तान को मिलने वाली 70 करोड़ डॉलर की मदद पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है.
अमेरिकी कांग्रेस की ओर से यह रोक तब तक लगाने का प्रस्ताव दिया गया है जब तक पाकिस्तानी सरकार अफगानिस्तान में विनाशकारी आईईडी विस्फोटकों के प्रसार से लड़ने की एक कारगर रणनीति नहीं बनाती.
पहले से तनावपूर्ण चल रहे अमेरिका-पाकिस्तान रिश्तों में कांग्रेस के इस कदम से और तल्खी आ सकती है.
इस मामले पर रुख कड़ा करते हुए सीनेट और प्रतिनिधि सभा की एक समिति ने कल पाकिस्तान को दी जाने वाली 70 करोड़ डॉलर की मदद रोकने पर सहमति जताई. यह सहमति रक्षा अनुज्ञा विधेयक :डिफेंस ऑथराइजेशन बिल:- 2012 के संदर्भ में बनी है.
पाकिस्तान पर यह सख्ती करने के साथ ही इस विधेयक का लक्ष्य ईरान के सेंट्रल बैंक को निशाना बनाना और गुआंतानामो खाड़ी की जेल को बंद करने की योजना के संदर्भ में नई बंदिशे लगाना है.
इस विधेयक पर दोनों सदनों में इसी सप्ताह मतदान होगा. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पहले ही आगाह कर दिया है कि वह ऐसे किसी भी विधेयक पर वीटो करेंगे जिसमें अमेरिका को निशाना बनाने वाले संदिग्ध आतंकवादियों को सैन्य हिरासत में भेजे जाने की बात होगी.
आर्म्ड सर्विसेज कमिटी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘रोकी जाने वाली राशि में ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए दी जाने वाली 1.1 अरब डॉलर की मदद का है.’’
पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिन्हें अमेरिका से बहुत ज्यादा मदद मिलती है. कांग्रेस के इस नए कदम को मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी मदद का एक बेहद छोटा हिस्सा ही इस्लामाबाद तक पहुंच पाएगा.
इस कदम से दोनों देशों के रिश्तें में और तल्खी आ सकती है. नाटो हमले में पाकिस्तान के 24 सैनिकों के मारे जाने के बाद से दोनों मुल्कों के रिश्तों में पहले ही तल्खी काफी बढ़ चुकी है.
कांग्रेस की समिति के इस प्रस्तावित कदम की पृष्ठभूमि आईईडी विस्फोटकों का प्रसार है. इसका इस्तेमाल आतंकवादी अफगानस्तिान में अमेरिकी और नाटो सैनिकों के खिलाफ करते हैं.
अमेरिकी कांग्रेस की ओर से यह रोक तब तक लगाने का प्रस्ताव दिया गया है जब तक पाकिस्तानी सरकार अफगानिस्तान में विनाशकारी आईईडी विस्फोटकों के प्रसार से लड़ने की एक कारगर रणनीति नहीं बनाती.
पहले से तनावपूर्ण चल रहे अमेरिका-पाकिस्तान रिश्तों में कांग्रेस के इस कदम से और तल्खी आ सकती है.
इस मामले पर रुख कड़ा करते हुए सीनेट और प्रतिनिधि सभा की एक समिति ने कल पाकिस्तान को दी जाने वाली 70 करोड़ डॉलर की मदद रोकने पर सहमति जताई. यह सहमति रक्षा अनुज्ञा विधेयक :डिफेंस ऑथराइजेशन बिल:- 2012 के संदर्भ में बनी है.
पाकिस्तान पर यह सख्ती करने के साथ ही इस विधेयक का लक्ष्य ईरान के सेंट्रल बैंक को निशाना बनाना और गुआंतानामो खाड़ी की जेल को बंद करने की योजना के संदर्भ में नई बंदिशे लगाना है.
इस विधेयक पर दोनों सदनों में इसी सप्ताह मतदान होगा. राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पहले ही आगाह कर दिया है कि वह ऐसे किसी भी विधेयक पर वीटो करेंगे जिसमें अमेरिका को निशाना बनाने वाले संदिग्ध आतंकवादियों को सैन्य हिरासत में भेजे जाने की बात होगी.
आर्म्ड सर्विसेज कमिटी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘रोकी जाने वाली राशि में ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए दी जाने वाली 1.1 अरब डॉलर की मदद का है.’’
पाकिस्तान दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिन्हें अमेरिका से बहुत ज्यादा मदद मिलती है. कांग्रेस के इस नए कदम को मंजूरी मिलने के बाद पाकिस्तान को दी जाने वाली अमेरिकी मदद का एक बेहद छोटा हिस्सा ही इस्लामाबाद तक पहुंच पाएगा.
इस कदम से दोनों देशों के रिश्तें में और तल्खी आ सकती है. नाटो हमले में पाकिस्तान के 24 सैनिकों के मारे जाने के बाद से दोनों मुल्कों के रिश्तों में पहले ही तल्खी काफी बढ़ चुकी है.
कांग्रेस की समिति के इस प्रस्तावित कदम की पृष्ठभूमि आईईडी विस्फोटकों का प्रसार है. इसका इस्तेमाल आतंकवादी अफगानस्तिान में अमेरिकी और नाटो सैनिकों के खिलाफ करते हैं.
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