
युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये ! निरख रही कातर नयनों से, खड़ी भुजा फैलाये ! युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये !. . मरा नहीं है दुर्योधन, संग्राम अभी है बाकी, खींच रहा है चीर दुशासन, भोली मानवता की. रूप बदलकर सारे कौरव, फिर धरती पर आये ! युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये ! . नौजवान ! तंद्रा त्यागो, “मत” का गांडीव उठाओ, लोकपाल को “चक्र सुदर्शन” सा मज़बूत बनाओ. अनाचार की ज्वाला, जनता की छाती दहलाए ! युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये ! . क्रोध मांग लो दुर्वासा से, ऐसी लपट उठाओ, भस्म सभी अत्याचारी हों, ऐसा अस्त्र बनाओ. बच के रहना खड़ी राह में, “माया” जाल बिछाये, युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये ! . कई उर्वशी और मेनका, आयेंगी राहों में, मोहक रूप दिखाकर अपना भर लेंगी बाहों में. ठोकर मार बढ़ो आगे, ये राहें रोक न पाये, युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये ! . मोहपाश तोड़ो प्रचंड हुँकार करो, दहलाओ, सक्षम, कर्मठ नेता को सिंहासन पर बैठाओ. जनता देख रही है दिल में अपनी आस जगाये, युवकों ! उठो, बढ़ो आगे, भारत माँ तुम्हे बुलाये
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