प्रजातंत्र सिर्फ नाम का रह गया है हमारे देश में , और इसके चारो स्तम्भ को अलग अलग देखें तो रोना आता है |
राजनेताओं की तो बात ही जुदा है , वो तो संसद में सांसद के रूप में 160 से अधिक की संख्या में गुंडे मवाली और बलात्कारियों व् हत्यारे के रूप में बैठे हैं | भ्रस्टाचार तो ऐसा की 1200 करोड में 2G का लाइसेंस गलत तरह से खरीद कर 6000 करोड में बेच कर एक ही झटके में कई हज़ार करोड़ कम लेते हैं और कुछ पूछो तो जवाब दिलचस्प है की चुनाव जीतने की लिए उन्होंने करोड़ो खर्च किया है |
दूसरा स्तम्भ तो नौकरशाहों का है जो नाम के विपरीत मालिक हैं इस देश के और नेताओं को नौकर बना के रखा है | 300 करोड से कम अगर छापे में इनके यहाँ से पकड़ा जाये तो इनकी बेईज्यती
मानी जाती है |
तीसरा स्तम्भ है न्यायपालिका और पुलिस का | पुलिस तो खामखाह बदनाम है आजकल, क्यूँ की अगर एक कप्तान अगर किसी जिले में जाना चाहता है तो उसे पोस्टिंग के लिए ही कई करोड़ ढीलना
पड़ता है , अब वो क्या करें , कोई भी व्यवसाय का नियम ही है की पैसा इन्वेस्ट करोगे तभी तो वापस कमाओगे .......... बेचारे पुलिस का सिपाही तो नौकरी पाने में ही लाखो इन्वेस्ट कर देता है |
न्यायपालिका के लिए तो जुदिसिअरी अकाउंटएबिलिटी बिल की मांग क्या ऐसे ही उठ रही है |
चौथा स्तम्भ तो मीडिया है और ये कुछ छुपाती भी नहीं की उसमें भ्रस्टाचार नहीं है , मीडिया तो एक जिम्मेदार स्तम्भ के रूप में तुरत फुरत ये जाहिर कर देती है ............. सुबह सरकार के विरोध में बोलना शुरू करती है और शाम तक उसके समर्थन में आ जाती है | पूरा अन्ना आन्दोलन को मीडिया ने इतने ऊंचाई पर पहुँचाया और उसकी
ऐसी की तैसी करने मैं उसने उतनी ही देर लगाई जितने देर में उसने सरकार से डील करने में लगाई ...................
अब तो आप सभी स्तम्भ की जिम्मेदारी और उसकी वास्तविक स्थिति जान गए .... आप तो जान ही रहे थे | फिर तो आप हमारे लोकतंत्र को भी जान ही गए .......... जान ही रहे थे |
इतनी बातें जान लेने के बाद भी आप कहें की ये नेता भ्रस्ट हैं या अन्य स्तम्भ की कोई कमजोरी है तो आप अन्याय करेंगे , अरे मेरे भाई आप समझते नहीं ये सारी गलती तो हमारी है , हम आम जनता जो है |
व्यवसाय का पहला नियम आप भूल गए क्या ............................. अरे जो पैसा लगाएगा वो ही तो कमाएगा ???
समझे की नहीं ..........
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